ISRO एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जिसके बारे में आजतक किसी ने सोचा नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट से इसरो का लोहा फिर पूरी दुनिया में स्थापित हो जाएगा। इसरो के इस प्रोजेक्ट पर सभी देश नतमस्तक हो जाएंगे। अब इसरो अंतरिक्ष में सैटलाइट ले जाने के बाद डेड हो जाने वाले रॉकेट्स को फिर से इस्तेमाल करने की तकनीक पर काम कर रहा है।
इसरो को लगता है कि डेड रॉकेट के इस हिस्से को दोबारा काम में लाया जा सकता है। इसरो इस कचरे या रॉकेट के इस हिस्से का उपयोग स्पेस एक्सपेरिमेंट के लिए करने पर विचार कर रहा है। ऐसा अब तक किसी देश ने नहीं किया है। इसरो जनवरी में पीएसएलवी सी44 को लॉन्च करने वाला है। इस दौरान प्राइमरी सैटेलाइट के रूप में भारत माइक्रोसेट को प्रक्षेपित करेगा। इस दौरान ही इसरो इस तकनीक का टेस्ट भी करेगा और नई तकनीक की मदद से इसे डेड रॉकेट को दोबारा जीवनदान दिया जाएगा।
जब भी धरती पर किसी भी देश से कोई सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है तो उसका कुछ भाग धरती पर वापस आ जाता है। लेकिन कुछ हिस्सा अंतरिक्ष में किसी कचरे की भांति धरती के चारों और चक्कर लगाता रहता है। इस तरह के कचरे स्पेस वेस्ट कहा जाता है। इस कचरे को लेकर भी कई देश काफी समय से काम कर रहे हैं। इसकी वजह है कि सैटेलाइट को छोड़ने के बाद लास्ट स्टेज रॉकेट ऑर्बिट में घूमते हुए नीचे की तरफ गिरता है। कई बार यह हवा में ही खाक हो जाता है तो कभी कभी यह आग के गोले के रूप में धरती पर गिर जाता है, जिससे हानि होने की आशंका बनी रहती है। लेकिन अब भारत अपने इसी कचरे को एक नई तकनीक से साधना चाहता है। वर्तमान में भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जो इस तकनीक पर काम कर रहा है।