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लोकसभा अध्यक्ष के आपातकाल के विरोध में लाए गए प्रस्ताव का स्वागत करते हैं : जेपी नड्डा

नई दिल्ली : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के आपातकाल के विरोध में सदन में लाए गए प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि वे बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा निर्मित भारत के संविधान पर कांग्रेस द्वारा किए गए इस कुठाराघात की निंदा करते हैं। जेपी नड्डा ने कहा, “जिस प्रकार से कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने ‘तानाशाही बंद करो’ जैसा नारा लगाकर लोकसभा अध्यक्ष के वक्तव्य में विघ्न डालने का काम किया, वे उसे इस प्रस्ताव के समर्थन की तरह स्वीकार करते हैं।”

कांग्रेस पर देश में आपातकाल लगाने के लिए हमला जारी रखते हुए जेपी नड्डा ने आगे कहा, “1975 में लगा आपातकाल इस देश में तानाशाही की मिसाल था। ये वो दौर था, जब विपक्ष के नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया, पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया गया था। तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर पाबंदियां लगा दी थी और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगा दिया था। अगर कांग्रेस आपातकाल के उस दौर को लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में मान गई है, तो वे इस पहल का स्वागत करते हैं।” आपातकाल की 50वीं बरसी पर विपक्षी दलों के हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को सदन में आपातकाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया।

इस प्रस्ताव में 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल के लिए कांग्रेस और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जमकर आलोचना की गई है। बिरला ने सदन में निंदा प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ये सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था।” उन्होंने आपातकाल के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में सदन से दो मिनट का मौन रखने का भी आग्रह किया।

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