दस्तक तफ्तीश: इतनी जल्दी कैसे पकड़े गए लखनऊ बैंक लुटेरे
लखनऊ के चिनहट में हुई बैंक लूट की पूरी कहानी, नौसिखिया था गिरोह, वारदात के बाद भी फोन रखा ऑन, 30 घंटे में ही पकड़े गए
दस्तक ब्यूरो: लखनऊ के इंडियन ओवरसीज बैंक के चिनहट शाखा में 42 लॉकरों की चर्चित लुट का खुलासा 42 घंटे से पहले ही हो गया है। यह कोई सात चोरों का गिरोह था जो बिहार से ताल्लुक रखता है। इनमें दो बदमाशों को पुलिस ने सोमवार को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। 3 लुटेरों को गिरफ्तार कर लिया। दो फरार बदमाशों की तलाश जारी है। पुलिस की शुरूआती पूछताछ में जो कहानी सामने आई है उससे यह तो साफ है कि चोर ज्यादा शातिर नहीं थे। इसीलिए वे 42 घंटे के अंदर पुलिस की गिरफ्त में आ गए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक इन्होंने एक स्थानीय मुखबिर विपिन की मदद से चिनहट के इस बैंक को लूटने की प्लनिंग कई महीने पहले की थी। इस गैंग के चार लड़कों ने पहले मिलकर बैंक की दीवार में सेंध लगाई। इसके बाद वे दो-दो के ग्रुप में बंट गए। दो लड़के बैंक लूटने के लिए अंदर गए और दो बाहर की निगरानी कर रहे थे। वे जानते थे कि बैंक के अंदर बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे थे इसलिए चारों ने हैलमेट और नकाब से अपना चेहरा छुपा रखा था।
लखनऊ के इंडियन ओवरसीज बैंक के चिनहट शाखा में शनिवार रात ये चोर दीवार में कोई ढाई फुट चौड़ा छेद करके लॉकर रूम में घुसे थे। चोरी का दिन शनिवार को इसलिए चुना क्योंकि अगले दिन बैंक बंद रहता है। उन्होंने सबसे पहले अलार्म सिस्टम को डैमेज किया। उन्हें पता था कि ये सिस्टम कहां से डैमज करना है। उनके पास एक इलेक्ट्रिक कटर भी था। फिर दोनों ने मिलकर चार घंटे तक 42 लॉकर काट डाले। 30 लॉकर से करोड़ों के जेवर चुरा ले गए। अगले दिन रविवार को बैंक बंद है। इसलिए इसकी जानकारी किसी को नहीं हुई। दोपहर में वहां रहने वाले फर्नीचर दुकान के मालिक जब बैंक के पीछे खाली प्लॉट में गए तो दीवार कटा हुआ देखा। इसके बाद उन्होंने पुलिस को इसकी खबर दी। चिनहट पुलिस के साथ डॉग स्क्वायड की टीम मौके पर जांच पड़ताल की।
कैसे मिला सुराग
पुलिस ने तफ्तीश के दौरान बैंक के भीतर और बाहर की सीसीटीवी फुटेज देखी। एक फुटेज में बैंक के भीतर हेलमेट पहने चोर फोन पर बात करते दिखे। इससे पुलिस को सुराग मिला। जब बाहर की फुटेज देखी, तो उसमें भी उसी समय पर एक चोर फोन पर बात करते दिखा। इससे साफ हो गया कि दोनों आपस में बात कर रहे थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस दौरान अंदर और बाहर की टोली में शामिल चोरों ने तीन बार फोन पर बात की थी। पकड़े गए लड़कों ने कुबूला कि, कितने लॉकर टूटे, और कितना समय लगेगा, इसको लेकर वे बात कर रहे थे। पता चला कि जो बैंक के अंदर मोबाइल पर बात कर रहा था, वह पुलिस मुठभेड़ में घायल बिहार के मुंगेर का अरविंद कुमार था।
मोबाइल पर बात करती मिली सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस की राह आसान कर दी। किसी भी लोकेशन पर किस नम्बर से फोन हुआ ये आसानी से पता चल जाता है। दूसरे किस नम्बर पर बात हुई यह भी पता चल जाता है। इस्तेमाल हुए मोबाइल फोन पुलिस को वहां सक्रिय मोबाइल नंबरों का डाटा निकलवाया। डाटा निकलवाते ही वहां सक्रिय सभी मोबाइल नंबर पुलिस के हाथ लग गए। चोर इतने अनाड़ी थे कि वे अपने फोन व सिम साथ लेकर घूम रहे थे। ये नंबर वारदात के बाद भी ऑन रहे इससे इनकी लोकेशन ट्रेस करने में आसानी हुई। इससे वारदात के 42 घंटों में ही चर्चित बैंक लूट कांड खुलासा हो गया।
चोरो ने चार दिन तक की रेकी
बिहार का ये नौसिखिया गिरोह 17 दिसंबर को ही लखनऊ आ गया था। लगातार चार दिनों तक गिरोह ने बैंक और आसपास के इलाके की रेकी की। इस दौरान गिरोह ने बैंक में आसानी से दाखिल होने के रास्ते की तलाश की। आसपास कहां-कहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, इसका भी पता लगाया। चार दिन एक-एक चीज की बारीकी से रेकी करने के बाद गिरोह ने तय किया कि शनिवार की रात वारदात अंजाम दी जाएगी। शनिवार रात 12 बजे के आसपास गिरोह दो बाइकों से बैंक के पास पहुंचा। बैंक से कुछ दूरी पर बाइकों को खड़ी कर खाली प्लॉट के रास्ते बैंक की दीवार में सेंध लगाकर अंदर दाखिल हो गए। चूंकि उनको पता था कि सीसीटीवी कैमरे कहां-कहां है, इसलिए पहचान छिपाने के लिए किसी ने मुंह पर नकाब लगा रखा था, तो किसी ने हेलमेट पहना हुआ था।