शंखपुष्पी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह की बीमारियों को दूर करने का काम करती है। आयुर्वेद में भी इसके गुणों का व्याख्यान किया गया है। भारत में यह पथरीले मैदानों में बड़ी आसानी से पाई जाती है। यह वनस्पति मुख्य रूप से दिमाग को बल देने वाली, यादाश्त और बुद्धि को बढ़ाने वाली औषधि है। शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, आज के तनावपूर्ण वातावरण में सभी को इसका सेवन करना चाहिए। शंखपुष्पी के फूल, पत्ते, तना, जड़ और बीज समेत लगभग सभी हिस्सों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। आइए-
1- दिमाग तेज करने में मददगार-
दिमाग की मजबूती बढ़ाने के लिए शंखपुष्पी से अच्छी कोई औषधि नहीं मानी जाती। शंखपुष्पी का हमेशा से प्रयोग मस्तिष्क से संबंधित रोगों में किया जाता है। इसके अद्भुत गुणों के कारण प्राचीन काल से ही गुरुजन अपने शिष्यों को बह्म मुहूर्त में जड़ सहित इसके पूरे पौधे को ताजा पीसकर दूध या मक्खन के साथ शहद, मिश्री या शक्कर मिलाकर सेवन करने का उपदेश देते रहे हैं ताकि उनकी बुद्धि प्रखर हो जाए। शंखपुष्पी और गिलोय का सत्व, अपामार्ग की जड़ का चूर्ण, विडंग के बीजों का चूर्ण, कूठ, वचा, शतावरी और छोटी हरड़ को समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त तेज होती है।
2- बालों के लिए फायदेमंद-
यह बालों को बढ़ाने वाली तथा इन्हें चमकदार बनाने वाली औषधि है। इसका जड़ सहित पूरा पौधा पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने से बाल लंबे, सुंदर और चमकदार होते हैं। शंखपुष्पी की जड़ को पीसकर उसके रस की कुछ बूंदें नाक में डालने से समय से पहले बाल सफेद नहीं होते। इसके रस को शहद में मिलाकर पीने से बालों का झड़ना रुक जाता है और बाल घने, मजबूत और चमकदार हो जाते हैं। शंखपुष्पी, भृंगराज और आंवला से निर्मित तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं।
3- डायबिटीज में लाभकारी-
शंखपुष्पी के सेवन से डायबिटीज के रोगियों को लाभ प्राप्त होता है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए शंखपुष्पी का चूर्ण 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करें, काफी लाभ होगा।
4- अस्थमा, सर्दी, खांसी, बुखार ठीक करे-
मौसम बदलने के साथ-साथ अस्थमा, सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि साबित होती है। बुखार, अस्थमा और पुरानी खांसी से राहत के लिए इसके पत्तों को सुखाकर हुक्के की तरह इसका सेवन करने से लाभ होता है। खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ कराया जाता है।
5- मिर्गी ठीक करे-
मिर्गी के मरीज को शंखपुष्पी के पूरे पौधे के रस या चूर्ण को कूठ के चूर्ण के साथ समान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ देने से लाभ मिलता है। इससे मरीज के दिमाग को शक्ति मिलती है। हिस्टीरिया और उन्माद जैसे रोगों से मुक्ति दिलाने में भी शंखपुष्पी अचूक साबित होती है। इसके लिए शंखपुष्पी, वचा और ब्राह्मी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और इसे 3-3 ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार दें, रोग ठीक जाएगा।