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जाने पीवी सिंधु के कांस्य पदक जीतने की पीछे की कहानी

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में हारने के बाद पीवी सिंधु का रो-रो कर बुरा हाल हो गया था. स्थिति ऐसी थी मानों उनका ओलंपिक में दोबारा मेडल जीतना का सपना चकनाचूर हो गया हो. पार्क ने आंसुओं में डूबी सिंधू से बोला कि उनके पास कांस्य पदक जीतने का अवसर है.

कांस्य पदक चौथे पायदान से कहीं बेहतर है. सिंधु ने खुलासा किया कि पार्क के बोलने का मतलब ये था कि उन्हें टूटने की बजाय अपने कांस्य पदक की तरफ ध्यान देना चाहिए. इसके बाद ही वो अपने आपको कांस्य पदक के मैच के लिए तैयार कर सकी. सिंधु का पदक पार्क के लिए विशेष है.

आखिर उनके किसी शिष्य की तरफ से जीता गया ये पहला ओलंपिक पदक है. सिंधु के साथ मौजूद पार्क खुलासा करते हैं कि जब उन्होंने उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया कि तो सिंधु उस समय ओलंपिक रजत पदक विजेता थीं और स्टार भी थीं. उन पर दबाव था कि आखिर वो ऐसा क्या कराएं जिससे सिंधु को ओलंपिक गोल्ड मिले.

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उन्होंने सिंधु के लिए यही लक्ष्य भी रखा, वो उनके कांस्य से संतुष्ट हैं. जिस तरह के हालातों में उन्होंने तैयारी कराई उससे ये पदक विशेष बन जाता है. सिंधु खुलासा करती हैं कि वो लंबे टाइम से पार्क को जानती हैं. वो उन्हीं के अंडर में कोचिंग जारी रखेंगी. पार्क बीते साल फरवरी से केवल 13 दिन के लिए कोरिया गए हैं.

उनकी तीन वर्ष की बेटी है जिससे वो मिलना चाहते हैं. जल्द ही कोरिया जाकर वो वापस सिंधु को कोचिंग देने में जुट जाएंगे. सिंधु के अनुसार, जिस तरह से टोक्यो में कोर्ट पर हवा की वजह से शटल इधर-उधर हो रही थी उससे उनका गोपी अकादमी की जगह गाचीबाउली स्टेडियम में ट्रेनिंग करने का फैसला सही साबित हुआ.

बड़े स्टेडियम में एसी की हवाओं के बीच तैयारी करने का फैसला सही था. इससे उन्होंने टोक्यो में लाभ मिला. रही बात पेरिस ओलंपिक की तो वो इस ओलंपिक के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. वो वादा करती हैं कि पेरिस में वो सौ प्रतिशत खेलेंगी.

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