मुंबई. भारत (India) के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर मुंबई में 2020 में पिछले साल की तुलना में जीवित जन्म में 20 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. जानकार कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus) के चलते बने हालात को इस गिरावट का जिम्मेदार मान रहे हैं. खास बात है कि कोरोना महामारी के दौरान महाराष्ट्र देश का सबसे प्रभावित राज्य था. वहीं, दूसरी लहर (Second Wave) में मुंबई में कोरोना संक्रमण के आंकड़े तेजी से बढ़े थे.
इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बृह्नमुंबई महानगर पालिका (BMC) के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी इस गिरावट के कई संभावित कारण गिनाते हैं. उन्होंने बाताया कि महामारी के दौरान भविष्य की सुरक्षा, सार्वजनिक अस्पतालों को कोविड-19 केंद्र में बदलने के चलते शायद कई लोगों ने बच्चे की योजना को टाल दिया. वहीं, मुबंई से बड़ी संख्या में लोगों का निकलना भी शहर में जीवित जन्म की संख्या में कमी का बड़ा कारण है.
आंकड़ों बताते हैं कि अनुमानित 2 करोड़ की आबादी वाले शहर में 2016 से अब तक हर साल औसतन 1.5 लाख जीवित जन्म हुए हैं. बीएमसी से प्राप्त डेटा के अनुसार, मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत से ही शहर में जीवित जन्म में गिरावट आई है. 2019 में मुंबई में 1 लाख 52 हजार 952 जन्म हुए. 2020 में यह आंकड़ा गिरकर 1 लाख 20 हजार 188 पर आ गया. 2021 में 30 नवंबर तक 2019 की तुलना में आंकड़े एक तिहाई कम होकर 1 लाख 1 हजार 308 पर आ गए.
सेंसस 2011 के अनुसार, शहर की करीब 40 फीसदी जनसंख्या घनी आबादी वाले झुग्गियों में रहती है. महामारी शुरू हुई, तो जी साउथ वॉर्ड में वर्ली कोलीवाड़ा, जी नॉर्थ वॉर्ड में धारावी कोविड हॉटस्पॉट बने इलाकों में शामिल थे. इनमें कुछ जगह ऐसी भी थी, जहां सबसे ज्यादा प्रवासी रहते थे. पहले लॉकडाउन के बाद गर्भवती महिलाओं समेत लाखों प्रवासियों ने शहर छोड़ा. निकाय के अधिकारियों का कहना है कि यह भी जीवित जन्म में कमी का कारण हो सकता है.
रिपोर्ट से अनुसार, लोकल हेल्थ वॉलिंटियर्स बताते हैं कि कुछ महिलाओं ने खुद को वायरस से बचाने के लिए घर पर ही जन्म देने का फैसला किया, जिसके चलते कुछ जीवित जन्म शायद दर्ज नहीं हो सके. खासतौर से ये हालात झुग्गियों में बने. बीएमसी का डेटा बताता है कि 2019 में कुल 353 होम डिलीवरी दर्ज की गई थीं, जो 2020 में 256 पर आ गई. लेकिन 2021 में 30 नवंबर तक होम डिलीवरी की संख्या 400 थी. कम जन्म के कारण शहर में मृत्यु जन्म या स्टिलबर्थ (डिलीवरी से पहले या दौरान बच्चे की मौत हो जाना) में भी 21 फीसदी की कमी आई. 2019 में 1373 स्टिलबर्थ दर्ज किए गए, जो अगले साल 1091 पर आ गए और नवंबर 2021 तक यह आंकड़ा कम होकर करीब 900 हो गया.