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महाभारत फेम गजेंद्र चौहान ने की आदिपुरुष को बैन करने की मांग, बताया नई पीढ़ी को बर्बाद करने की साजिश

मुंबई : ओम राउत की फिल्म ‘आदिपुरुष’ को रिलीज हुए एक हफ्ते हो गए हैं। एक हफ्ते बाद भी फिल्म पर विवाद खत्म होता नहीं दिखता है। पहले वीएफएक्स (vfx) की वजह से ट्रोल (troll) किया गया फिर रिलीज के बाद इसके डायलॉग्स को लेकर मेकर्स निशाने पर आए। खासकर हनुमान के किरदार को जिस तरह बोलते हुए दिखाया गया वह लोगों के लिए स्वीकार करना आसान नहीं था। हालांकि अब हनुमान के डायलॉग बदल दिए गए हैं लेकिन उससे विवाद शांत होता नहीं दिखता है। ‘आदिपुरुष’ को लेकर सीरियल ‘रामायण’ के तीनों मुख्य कलाकारों ने आलोचना की। इस बीच अब बीआर चोपड़ा की ‘महाभारत’ में युधिष्ठिर का रोल करने वाले गजेंद्र चौहान ने मेकर्स पर निशाना साधा।

गजेंद्र चौहान ने बताया कि उन्होंने फिल्म की टिकट खरीदी थी लेकिन बाद में इसे देखने नहीं गए। इंडिया टुडे से बात करते हुए गजेंद्र चौहान ने कहा कि ‘मैंने इस फिल्म को देखने के लिए टिकट बुक किया था, लेकिन किसी वजह से मेरी अंतरात्मा ने इसकी इजाजत नहीं दी कि मुझे इसे थिएटर में जाकर देखना चाहिए। दरअसल ट्रेलर और वायरल हुए क्लिप देखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह फिल्म देखने के लायक नहीं है। मैं अपनी मान्यताओं से समझौता नहीं करना चाहता। मैं भगवान राम को भगवान श्री राम के रूप में देखना चाहता हूं।’

गजेंद्र चौहान कहते हैं, ‘मेरा मानना ​​है कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश है। वे आने वाली पीढ़ियों को बर्बाद करना चाहते हैं। मैं टी-सीरीज के भूषण जी से कहना चाहूंगा कि उन्हें इन सभी चीजों का उसी ईमानदारी से ध्यान रखना चाहिए जैसे उनके पिता ने रखा था। भविष्य में ऐसी चीजों को बिल्कुल भी महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।’

आदिपुरुष के डायलॉग बदलने पर गजेंद्र कहते है, ‘तीर तो धनुष से छूट चुका है। जो नुकसान होना था वह हो चुका है। चाहे आप कितनी भी सुधार की कोशिश कर लें इसमें सुधार नहीं होगा। इससे कोई पायदा नहीं होगा। लोगों ने पहले ही फिल्ममेकर्स को सजा दे दी है। पहले दिन का कलेक्शन और आज का कलेक्शन देखिए। वे असल में सजा के लायक हैं और उन्हें सजा मिलनी चाहिए। मैं सेंसर बोर्ड के फैसलों से भी हैरान हूं। उनसे भी पूछताछ होनी चाहिए। फिल्म पर बैन लगना चाहिए था। सरकार को तुरंत इस पर रोक लगानी चाहिए।’

आदिपुरुष के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर के बारे में गजेंद्र चौहान कहते हैं, उन्हें वास्तव में कोई ज्ञान नहीं है। वह लिरिक्स राइटर हैं और उनसे डायलॉग लिखने के लिए कहा गया था। फिल्म में उन्होंने जो संवाद जोड़े हैं वे लेखकों के वीडियोज से मिल गए थे जो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। जैसे कुमार विश्वात का डायलॉग तेरी लंका में आग लगा दूंगा। इन सबको उन्होंने ऐसे दिखाया जैसे ये उन्होंने लिखा है। वह अब भी जिद्दी बने हुए हैं। यह अहंकार किसी भी कलाकार के लिए ठीक नहीं है।’

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