मुंबई : एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनाने के फैसले ने सभी को हैरान किया है। इससे ज्यादा चौंकाने वाला कदम पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस का दूसरे नंबर का पद संभालना रहा। खबर है कि पूर्व में सीएम रहने के बाद जूनियर पोस्ट संभालने वाले फडणवीस महाराष्ट्र के चौथे राजनेता होंगे। हालांकि, चर्चाएं ये भी हैं कि इस फैसले के जरिए भाजपा ने बीएमसी, लोकसभा चुनाव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार को निशाना बनाया है। शिंदे के सीएम बनने के बाद शिवसेना में फूट की संभावनाएं जताई जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा पवार को भी उनके गढ़ में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। खास बात है कि शिंदे पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा से आते हैं, जिसे पवार का गढ़ माना जाता है। इधर, महाविकास अघाड़ी सरकार में बगावत करने वाले शिंदे कैंप लगातार दोहरा रहे हैं कि वह बालासाहब ठाकरे के शिवसैनिक हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के वोटरों को ‘माधव’ कहा जाता है। इसका मतलब माली, धनगर और वंजारा समुदाय से है। वहीं, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग और शहरी मतदाताओं में भी भाजपा का ग्राफ बढ़ा है। अब मराठा को सीएम बनाकर पार्टी 32 फीसदी मराठा मतों पर नजर बनाए है।
सत्ता परिवर्तन के बाद भी शिवसैनिक को ही सीएम बनाकर भाजपा ने यह बताया है कि पार्टी हिंदुत्व के लिए पद का त्याग कर रही है। साल 2019 में हुए बीएमसी के मेयर के चुनाव में भाजपा अपने आप ही रास्ते से हट गई थी और शिवसेना की लिए जगह बनाई थी। हालांकि, अब संभावनाएं है कि भाजपा का अगला लक्ष्य ठाकरे कैंप को बीएमसी से भी बाहर करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि शिवसेना के कई सांसद भी शिंदे गुट के संपर्क में हैं। कुछ दिनों पहले उद्धव ठाकरे ने मुंबई क्षेत्र के जिला प्रमुखों की बैठक बुलाई थी, लेकिन इसमें दो ही शामिल हुए। खबर है कि पांच जिला प्रमुख शिंदे गुट के संपर्क में हैं।
पहले फडणवीस ने खुलकर ऐलान किया था कि वह सरकार से बाहर रहेंगे। लेकिन पीएम मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और संगठन सचिव बीएल संतोष ने उन्हें डिप्टी सीएम पद की शपथ के लिए मनाया।