लो प्रोफाइल चल रही मायावती ने आक्रामक किया चुनाव प्रचार अभियान
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी अपने 75 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतार चुकी है। बिना किन्हीं दलों के साथ गठबंधन किए चुनाव में में उतरी बसपा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व में पार्टी भाजपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। पहले चरण के दौरान बसपा ने लो प्रोफाइल हो कर चुनाव प्रचार किया लेकिन अब अनुमानित रुझानों और निराशाजनक कम मतदान की रिपोर्टों के बाद मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ तेजी से अपनी रणनीति को फिर से केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक कर दिया है। पिछले सप्ताह में, उन्होंने अपने समर्थन आधार को सक्रिय करने और अनिर्णीत मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से रैलियों की एक श्रृंखला शुरू की है। अब मायावती ने बाकी पार्टियों के खिलाफ अपना हमला तेज कर दिया है।
मुफ्त में दिया जा रहा खाना पी.एम. की जेब से नहीं आता
मायावती अब अपनी रैलियों में पी.एम. मोदी पर सीधे निशाना साध रही हैं। वह लोगों को संबोधित करते हुए कह रही हैं कि गरीबों को मुफ्त में दिया जा रहा खाना पीएम मोदी या भाजपा की जेब से नहीं आ रहा है। यह आपके द्वारा भुगतान किए गए करों से आपको मुहैया करवाया जा रहा है। साथ में वह यह भी कहती हैं कि यदि चुनाव निष्पक्ष रूप से हुए तो भाजपा आसानी से सत्ता में नहीं लौटेगी क्योंकि वह ‘अच्छे दिन’ की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रही है।
भाजपा और बसपा में फायदे और नुकसान को खेल
2019 लोकसभा चुनाव बसपा ने समाजवादी पार्टी के साथ लड़ा था तब उसे 10 सीटें मिली थी। इस बार बसपा अकेले ही चुनाव मैदान है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 6 चुनावों के आंकड़ों को अगर देखे तो जब-जब भाजपा को अधिक सीटें मिली है तब-तब बसपा का प्रदर्शन खराब हुआ है। साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 4 सीटें मिली थी वहीं भाजपा ने 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 1999 के चुनाव में बसपा के प्रदर्शन में सुधार हुआ बसपा को 14 सीटों पर जीत मिली तो भाजपा को नुकसान हुआ, भाजपा को महज 25 सीटों पर जीत मिली थी।
2004 में बसपा बढ़कर 19 पर पहुंच गया वहीं भाजपा की सीट घटकर मात्र 10 रह गईं। 2009 में भी बसपा ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस दौरान भाजपा को मात्र 10 सीटें मिली थी। 2014 में भाजपा ने वापसी की और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली। भाजपा ने इस बार 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2019 में एक बार फिर बसपा के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला बसपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की, तो भाजपा को सीटों का नुकसान हुआ उसे 62 सीटें मिली थी।