नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव न्गूयेन फू त्रांग से बात की और यूक्रेन में जारी संकट और दक्षिण चीन सागर की वर्तमान स्थिति सहित विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि टेलीफोन पर हुई इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत विभिन्न विषयों पर सहयोग को लेकर बनी सहमति में हुई तेज प्रगति पर संतुष्टि जताई।
प्रधानमंत्री मोदी के वर्ष 2016 में हुए वियतनाम दौरे पर इस रणनीतिक साझेदारी को लेकर सहमति बनी थी। दोनों नेताओं ने भारत-वियतनाम के बीच कूटनीतिक रिश्तों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं भी प्रेषित कीं।
मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव न्गूयेन फू त्रांग से आज बात की। हमनें द्विपक्षीय और विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया और अपने आर्थिक, व्यापारिक और रक्षा जैसे सहयोगों के क्षेत्र में सहभागिता बढ़ाने पर सहमति जताई।” इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और हिंद-प्रशांत को लेकर दूरदृष्टि के बारे में वियतनाम के महत्व को फिर से रेखांकित किया और साथ ही वर्तमान पहलों की तेज प्रगति के लिए काम करने के अलावा द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने की संभावनाओं पर जोर दिया।
बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री ने त्रांग से भारत के दवा और कृषि उत्पादों की पहुंच को और सुविधाजनक बनाने के लिए उनसे सहयोग का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत संबंधों पर प्रकाश डाला और वियतनाम में चाम स्मारकों के जीर्णोद्धार में भारत की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। दोनों नेताओं ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर भी सहमति जताई।
दोनों नेताओं ने यूक्रेन में जारी संकट तथा दक्षिण चीन सागर में वर्तमान स्थिति सहित पारस्परिक हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। ज्ञात हो कि चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। इस क्षेत्र में प्राकृतिक तेल और गैस के भंडार होने का अनुमान है।