मोदी से बड़ी मोदी की छाया
विजय साहू
स्तंभ: आज पत्रिका ने अपने मुख्य पृष्ठ पर भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की यह तस्वीर छापी और साथ ही साथ उसका शीर्षक दिया ” मोदी से लंबी उनकी छाया ” । एक तस्वीर और एक शीर्षक ने पुरी कहानी बयां कर दिया। आध्यात्मिक जगत में बहुत बार बहस का मुद्दा होता है कि” राम जी बड़े या राम नाम बड़ा “। बहुत से कथाकार और स्वयं हनुमान जी कहते हैं राम से बड़ा राम नाम है।
बस वही कहावत आज चरितार्थ हो रही है कि मोदीजी से बड़ी उनकी छाया है। क्योंकि उनकी छाया में भारत का समग्र विकास है। सबका साथ, सबका विकास है। क्योंकि उस छाया में वर्तमान भारत के बाहुबली, निडर और आत्मसम्मान से लवरेज भारतीय सेना का समावेश है। क्योंकि उस छाया में आधुनिक भारत के विज्ञान, व्यापार, अनुशासन, समता, और आध्यात्मिक स्फूर्ति का समावेश है। क्योंकि उस छाया में प्रगतिशील भारत के कार्य क्रम में समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के भी सहभागिता का समावेश है। क्योंकि उस छाया में तुष्टिकरण के विरुद्ध एक निर्णायक लड़ाई के आहवान का भी समावेश है। क्योंकि मोदीजी के इस छाया में 2047 के समृद्ध, शक्तिशाली और विश्वगुरु भारतवर्ष की दृढ़ संकल्पना का समावेश है।
इस लिए विपक्ष के लोग समय समय पर मोदीजी के इस विशाल छाया को डंडे से पीटने का एलान करते हैं। विपक्ष सोते जागते हर समय मोदीजी के इस छाया से भयग्रस्त रहते हैं। पर वो विपक्षी लोग भूल गए हैं मोदीजी की यह विशाल छाया हर भारतीय के दिल और दिमाग से होते हुए उनकी आत्मा के अंदर रमन कर रही है। विपक्ष को मोदीजी के सभी कार्य से परहेज और विरोध है। मोदीजी जी देश की सीमाओं पर खड़े होकर शत्रुओं को ललकारते क्यों है।
मोदीजी पुरे विश्व में देश को विकास की अग्रिम पंक्ति में क्यों ले जा रहे हैं। मोदीजी को पुरे विश्व के सभी देश व उनके नेता इतना सम्मान क्यों देते हैं से लेकर मोदीजी ध्यान करने स्वामी विवेकानंद जी के स्मारक में क्यों गए। विपक्ष को अनपचक और बदहजमी की बीमारी हो गया है, अब इसका क्या ही इलाज हो सकता है.. पर भारतीय जनमानस पुनः इसका इलाज 4 जून को कर देगी। क्योंकि मोदीजी की छाया मोदीजी से बहुत लंबी है।
( यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं।)