महाकुंभ के नए तमाशेबाज : मोनालिसा
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21वीं सदी के महाकुंभ में दो मेले सजे हैं। एक संगम की मीलों तक फैली पवित्र रेती पर और दूसरा साइबार स्पेस में तैरते सोशल मीडिया पर। सोशल मीडिया पर वायरल महाकुंभ के अपने नायक और नायिकाएं हैं जो महाकुंभ को अपने अंदाज़ में दिलचस्प बना रहे हैं। मेले में मदारियों और तमाशेबाजों की भीड़ में अब रीलबाज भी शामिल हो गए हैं। इन रीलबाजों के महाकुंभ की एक तस्वीर पेश कर रहे हैं ‘दस्तक टाइम्स’ के एडीटर दयाशंकर शुक्ल सागर।
महाकुंभ की एक मोनालिसा भी है। उसकी खूबसूरत गर्दन और दाएं हाथ में बड़ी-बड़ी रूद्राक्ष की मालाएं लटकी हुई हैं। इंदौर से आई दिलकश आंखों वाली यह लड़की मोती, चंदन, रुद्राक्ष की मालाएं बेचती है। कान में बड़े-बड़े झुमके लहराते हुए वह मीडिया से बात करते जरा भी नहीं शर्माती। हंसती बहुत है। रील वाला पूछता है- ‘फिल्मों से ऑफर आता है तो काम करोगी।’ वह गर्दन हिला कर कहती है-‘नहीं करेंगे।’ फिर वो हंसने लगती है। उसकी हंसी में कुंभ मेले की सादगी है। एक दूसरे रील बाबा उसके वीडियो के साथ अपना ज्ञान वायरल करते हैं- ‘खूबसूरती पैसों की मोहताज नहीं होती। बदन ढंका हुआ, बिना मेकअप, आंखें मोती जैसी। यही तो हमारे भारत की खूबसूरती है। कुछ लड़कियां जिस्म दिखाने को ही खूबसूरती समझती हैं।’ तीसरी रील दिखती है। मोनालिसा की आंखें कैमरे के फोकस में है। बैकग्राउंड में लता का पुराना फिल्मी गीत- ये आंखें देख के हम सारी दुनिया भूल जाते हैं चलता रहता है। एक चैनल ब्रेकिंग न्यूज देता है- ‘महाकुंभ में आई इस लड़की ने मचा दिया तहलका।’ एक और रील वाला खबर पढ़ता है- ‘महाकुंभ में माला बेचने वाली लड़की की आंखों के लोग हुए दीवाने। दुनिया की सबसे ज्यादा खूबसूरत आंखों वाली लड़की वायरल हो गई है। विदेशी लोग भी इनकी आंखों के दीवाने हो गए हैं।’
माला बेचने वाले इंदौर के इस भोंसले परिवार ने अपनी नीली भूरी आंखों वाली लड़की का नाम 16वीं सदी के लिओनार्दो दा विंची की विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग मोनालिसा के नाम पर रखा होगा। इसमें एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिए हुए है। लेकिन कुंभ की मोनालिसा मुस्कुराती कम और हंसती ज्यादा है, बात-बात पर हंसती है। एक रील वाला मोनालिसा की तरफ पांच हजार के नोट बढा़ता है। रील वाला कहता है-‘देखो दोस्तों, मोनालिसा मुझे मिली है, मैं इसे यह पांच हजार रुपए गिफ़्ट दे रहा हूं।’ मोनालिसा के चेहरे का रंग उतर जाता है। वह रील वाले को गुस्से से देखती नज़र आती है। रील वाला हट जाता है। अगली रील में मोनालिसा ने फर वाली जैकेट पहन रखी है। रील वाला उसे पीछे से मॉडलिंग के एक्शन बता रहा है। मोनालिसा सब वैसा ही कर रही है। कैमरे का फोकस मोनालिसा की आंखें हैं और बैकग्रांउड में गाना बजता है- ‘आंखें भी कमाल करती हैं, पर्सनल से सवाल करती हैं।’ अगला रील वाला पर्सनल सा सवाल करता है- ‘क्या मोनालिसा को किसी से प्यार हुआ है?’ मोनालिसा और उसकी सहेलियां चिल्ला कर कहती हैं- ‘नहीं हुआ है। बस मम्मी पापा से हुआ है।’ दूसरे रील वाले का दूसरा पर्सनल सवाल- ‘विचार क्या है शादी का? माता पिता करेंगे या अपनी पसंद का करोगी?’ मोनालिसा- ‘मां बाप की पसंद का करेंगे। ऐसा तो हमारे यहां होता ही नहीं। कोई भी माला वाली लड़की रहेगी सिर्फ मेरी बात नहीं है, मां बाप की पसंद से शादी करेगी, अपनी पसंद की नहीं। हमारे में यहां ऐसा ही ही है भइया।’ अगला रील वाला रहस्य स्टोरी ब्रेक करता है- ‘मोनालिसा इंग्लिश भी बोलती है।’ फिर सवाल पूछता है- ‘आप इंग्लिश भी बोलती हैं, पढ़ी लिखी नहीं हैं फिर भी? कैसे?’ मोनालिसा खिलखिला के हंसती है- ‘दिमाग होना चाहिए ना।’ रील वाला झेंप जाता है। अपना दिमाग खोजने लगता है। अगला रील वाला पूछता है-‘आपको कैसा लगता है जब लोग फोटो खिंचवाते हैं?’ मोनालिसा थक गई है सवालों से। उदास सी कहती है ‘अब अच्छा नहीं लगता। माला भी नहीं बेचने देते। बहुत परेशान करते हैं कैमरे वाले दिनभर। धक्का-मुक्की तक करते हैं। मैं तो भाग जाती हूं कभी-कभी।’
आज मोनालिसा मेले में नहीं दिखी। यह रील वाला तो सीधा मोनालिसा के घर पहुंच जाता है। टेंट के घर के बाहर खड़ी मोनालिसा के चेहरे पर आज मेकअप नहीं है और न गले और हाथों में माला है। रीला वाला पूछता है- ‘आपको पता चला कि आप वायरल हो गईं?’ हां परसों पता चला। रील वाला- ‘कैसे पता चला?’ ‘आज मैं मेले में गई तो लोग मेरे पीछे पड़ गए। मुझे माला भी नहीं बेचने दिया। मैं वापस आ गई।’ रील वाला कमेंट्री करता है- ‘देखिए वायरल गर्ल मोनालिसा कैसे रहती हैं वो भी दिखाएंगे हम।’ एक अन्य रील में भूरी आंखों वाली लड़की कहती है- ‘इतनी भीड़ लाइफ में मैंने पहली बार देखी थी। इतने लोग पीछे लग गए थे कि जैसे भी मैं दो कदम भी जाऊं तो वो पीछे लग जाएं, चिल्लाएं, मैं एकदम से डर गई कि इतने सारे लोग मेरा नाम लेकर चिल्ला रहे हैं। मैं तो रोने बैठ गई थी।’ रीला वाला बोलता है-‘ये तो फिल्म वालों के साथ होता है कि जब वो चलते हैं सड़कों पर तो उनका नाम लिया जाता है कि सर सर सर मैम मैम।’ मोनालिसा शर्माती है-‘मेरे साथ भी ऐसा करते हैं लोग….मोनालिसा जी, मैम मेरे साथ फोटो खिंचवा लो। मैं उनसे कहती हूं कि ….क्या मैं मैम दिख रही हूं।’ वह फिर हंसने लगती है। रील पर उसकी हंसी के मोती बिखर जाते हैं। रील वाला उन्हें समेट कर जाने लगता है तो अगला रील वाला आ जाता है। टाइटिल है- ‘रुद्राक्ष वाली लड़की।’ फोकस में मोनालिसा की आंखें हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक चलता है- ‘आके तेरी बाहों में हर शाम लगे सिंदूरी।’ एक और रील वाले ने ‘सागर जैसी आंखों वाली’ गाना बैक ग्राउंड के डाल कर रील चला दी। आंखों पर जितने फिल्मी गाने हैं सब मोनालिसा के वीडियो के साथ रील बन चुके हैं। गुजराती में, मराठी में तमिल में कन्नड में। ‘आंखें में तेरी अजब सी अदाएं हैं’, ‘ये नैना बड़े दगाबाज रे’ इन सब गानों के साथ मोनालिसा है।
एक रीला वाला शायद ज्योतिषी है। मोनालिसा को बताता है कि वह बहुत आगे जाने वाली है। उदास मन से कहता है-‘तब मुझे भूलना नहीं जब आगे चली जाओगी।’ मोनालिसा हंसती है- ‘कौन ले जाएगा आगे भइया मुझे।’ शायद मोनालिसा वायरल की दुनिया का सच जानती है। वायरल, मियादी बुखार की तरह है, जो जितनी तेजी से ऊपर चढ़ता है उतनी ही तेजी से नीचे उतर भी जाता है। अब मोनालिसा इस नए रील वाले को इंटरव्यू दे रही है। ‘…यह सबसे महंगा मोती की माला है, साढ़े ग्यारह हजार रुपए का। जिसको नॉलेज होता है वही पहनता है, जितना सीने को टच करेगा उतना फायदा होता है ठंडे दिमाग और शांति के लिए होता है।’ रील वाला अगला सवाल पूछता है-‘अच्छा पढ़ाई-लिखाई कहां तक किए?’ मोनालिसा शर्माती है- ‘नहीं किए। हमें यही अच्छा लगता है। ज्यादा पढ़े-लिखे बेवकूफ होते हैं अनपढ़ गंवारों से।’ मोनालिसा और बगल में खड़ी उसकी सहेली खिलखिला कर हंसने लगती हैं। इंटरव्यू लेने वाला झेंप जाता है। पूछता है-‘कैसे बेवकूफ बना सकते हैं? सहेली कहती है-‘ये कहना चाहती है कि अनपढ़ लोग पढ़े-लिखे लोगों को बेवकूफ बना सकते हैं।’ वे दोनों फिर हंसने लगती हैं। मेले में ये दोनों वायरल लड़कियां दो हफ्ते से यही कर रही हैं। उन पढ़े-लिखों को बेवकूफ बना रही है जो इस धार्मिक समागम में सौंदर्य की खोज में निकले हैं। लेकिन बेचारी मोनालिसा के कारण माला बेचने वाला परिवार सांसत में आ गया है। धंधा प्रभावित हो रहा है। खबर है कि मोनालिसा को अब घर वापस जाना पड़ रहा है। भटकते रील वाले अब कुंभ में दूसरी मोनालिसा तलाश रहे हैं।
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सुंदर साध्वी
गले में गेंदे के फूल की माला। माथे पर चंदन का लेप। दोनों आईब्रो के बीच में बड़ी-सी सिंदूरी बिंदी। उसके ठीक नीचे काली बिंदी। सुंदरी भगवा शाल ओढ़े शाही सवारी में बैठी हुई हैं। भगवा रंग चेहरे पर लगे रूज और फाउंडेशन की चमक को और दिव्य बना रहा है। अमृत स्नान के लिए शाही सवारी संगम की ओर चली जा रही है। रथ पर संत महंतों के आगे सुंदर साध्वी। ऊपर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा और कैमरे के फोकस पर केवल सुंदरी हर्षा है। ये रील वाले हर चीज को लार्जर देन लाइफ बना देने में माहिर हैं। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम। दुनिया का सबसे बड़ा मेला। दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक स्नान और दुनिया की सबसे खूबसूरत साध्वी।
धन्य और चकित श्रद्धालु इस भव्यता के आगे नतमस्तक हैं। ‘आप इतनी सुंदर कैसे हैं?’ एक बेहाल भक्त पूछती है। सुंदरी निहाल हो जाती है। कुंभ मेले में श्रद्धालुओं को कई कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है। लेकिन सुंदर साध्वी की कार मेले में बिंदास घूमती है। रील में म्यूजिक चल रहा है- ‘महादेव भंडार भरेंगे।’ स्वास्तिक गेट के बाहर एक पुलिस वाला सुंदरी की कार रोक कर कुछ कहता है। सुंदरी कार से रेती पर नीचे उतर जाती है। गर्व से भरा खाकी वर्दी वाला सुंदरी के साथ तस्वीर खिंचवाता है। सुंदरी की कार आगे बढ़ जाती है। कार आगे रुकती है। एक बुज़ुर्ग भक्त सुंदरी को गेरुआ शॉल ओढ़ा देता है। साइबर स्पेस में सुंदरी की रीलों का रेला है। ‘कुंभ में आई सुंदरी मचा बवाल।’ चारों तरफ सिर्फ सुंदर साध्वी की चर्चा। ब्रेकिंग न्यूज ‘सबसे सुंदर साध्वी पर बरसे ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद।’
शंकराचार्य की बाइट चलती है- ‘इस तरह की परंपरा की शुरुआत करना गलत है। यह विकृत मानसिकता का नतीजा है। महाकुंभ में चेहरे की सुंदरता नहीं बल्कि हृदय की सुंदरता को देखना चाहिए।’ पर दिक्कत है हृदय की सुंदरता दिखती नहीं। दिखती भी है तो बिकती नहीं। सुंदरी शंकराचार्य से शास्त्रार्थ करना चाहती है- ‘मैंने कब कहा कि मैं साध्वी हूं। मैं सिर्फ अपने धर्म का प्रचार करना चाहती हूं।’ विवाद गहराता है। शंकराचार्य- ‘जो अभी तक ये तय नहीं कर पाया है कि उसे शादी करनी है या संन्यास की दीक्षा लेनी है, उसे संत महात्माओं के शाही रथ पर जगह दिया जाना सहीं नहीं।’
सुंदरी गुरुजी के चरणों में बैठी है- ‘मैं पहले भी बता चुकी हूं कि युवाओं को धर्म की तरफ रुख कराने के लिए आई हूं।’ धर्म के माध्यम से जागरूक कैसे करेंगी? सुंदरी के इंस्टाग्राम पर दूसरी रील दिखती है- ‘काफी लोग मुझे मैसेज और कमेंट कर रहे कि दीदी हमें हमारा मनचाहा प्यार बस में करना है ताकि वह हमसे शादी कर ले, कभी दूर न जाए। मैं आपको ऐसा मंत्र बताने वाली हूं जिससे आप अपने गर्लफ्रेंड, ब्वायफ्रेंड को बस में कर सकते हैं। और वह मंत्र है ‘ओम गिलीगिली, गिलीगिली छू ओम भट्ट स्वाहा।’ इस मंत्र का आपको डेली 1008 बार जाप करना है और अगले 11 दिन तक करना है। 12वें दिन रिजल्ट नहीं मिलता है तो वापस से मुझे कमेंट करना, मैं नया मंत्र बताऊंगी।’ सुंदरी तंत्र-मंत्र सिद्ध है। ऐसा मायाजाल रचा कि संत महंत, मंडलेश्वर महामंडलेश्वर सब उसके मंत्र के वशीभूत हैं।
आंखों में बड़े-बडे आंसू हैं। सुंदरी फूट-फूट कर रो रही है। रील वाला इन अनमोल पलों को कैमरे में कैद कर लेना चाहता है। सुंदरी सुबकती है-‘प्लीज नहीं।’ शॉल से आंसू पोछती है। कट। ‘शर्म आनी चाहिए। एक लड़की जो धर्म से जुड़ना चाहती है, उसे जुड़ने नहीं दिया जा रहा। कुंभ में आकर जैसे मैंने कोई गुनाह कर दिया। मैं कुंभ छोड़ कर जा रही हूं।’ फिर नई ब्रेकिंग न्यूज। महाकुंभ में हर्षा रिछारिया की वापसी हो गई है। सूत्रों की मानें तो उन्होंने कैलाशानंद महाराज का आश्रम छोड़ दिया है। अब वह निरंजनी अखाड़े में अध्यक्ष रवीन्द्र पुरी के संरक्षण में रहेंगी।’ सुंदरी कहती हैं- ‘देश के तमाम युवाओं ने अपना मन बदल लिया था। उन्होंने मुझे मैसेज किया अगर आप चली गईं तब हम भी धर्म के लिए मुड़ना नहीं चाहेंगे। अगर इतनी चुनौतियां हैं तो हम धर्म से दूर ही ठीक हैं।’ युवा सनातम धर्म से दूर जा रहे थे। सुंदरी ने उन्हें रोक लिया। सुंदरी सनातन धर्म की रक्षक है। हर-हर महादेव।
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सैकड़ों कैमरों के सामने लाइव पिंडदान। संगम में तीन डुबकी। आत्मा को शांति और मोक्ष के लिए मरे हुए इंसान का पिंडदान जरूरी है। कैमरा जूम होता है। खुले रेशमी बाल। माथे पर चंदन का लेप और होठों पर सुर्ख लिपिस्टक। वैदिक मंत्रों के बीच कैमरा जूम इन करता है… आंखों में आंसू। सफेद दूध की धारा सिर से गालों तक आती है। आंसू और दूध मिक्स हो जाते हैं। किन्नर मां उर्फ आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सफेद शंख से गंगा जल की धारा डालती हैं। गंगा जल में अनोखी शक्ति है। सारे पापों को धोकर पवित्र करने की। ‘ममतामयी’ किन्नर मां गेरुए शाल से सिर ढंकती हैं। सारे किन्नर साधू पीले और मरुन रंग के गेंदे की माला पहनाते हैं। आंसू बिना रुके बहते जा रहे हैं। ममता जैसे कोई बुत हो। अहिल्या की तरह। अहिल्या अब प्रेस कान्फ्रेंस में बैठी है- ‘23 तक मैंने बहुत कड़क तपस्या की उसका सर्टीफिकेट तो बनता है।’ किन्नर अखाड़ा मध्यम पंथी अखाड़ा है। साज शृंगार भी करता है और तपस्या भी। दुनिया छोड़ता है और उसमें रहता भी है।
आदिगुरू शंकराचार्य ने कहा था- जगत माया है और माया जगत है। मुम्बई में तो माया की पूरी इंडस्ट्री स्थापित है। मुम्बई का दुबई से कनेक्शन है। दुबई का ड्रग से कनेक्शन है और अब ममता का महाकुंभ से कनेक्शन है। एक पूरा सर्किल यानी एक बड़ा शून्य बनता है। ममता के महामंडलेश्वर बनने के बाद महाकुंभ में दूसरी सदी के बौद्ध आचार्य नागार्जुन शून्यवाद का भी पदार्पण हो गया। 144 साल बाद महाकुंभ सही अर्थों में पूर्ण हो गया। दुनियाभर में बदनाम ड्रग किंग की दोस्त रहीं संन्यासिनी ममता पत्रकारों को समझाती हैं- ‘तीन रास्ते होते हैं आध्यात्म के। एक वामपंथी, दूसरा मध्यममंथी और तीसरा ‘दक्षिणा पंथी’।’ 21वीं सदी के महाकुंभ में ‘दक्षिणा पंथ’ का बोलबाला है। एक रील में पीठाधीश्वर आचार्य आनंद स्वरूप कहते हैं- ‘अच्छा है, कल रोड से पकड़ो और बताओ यह साधु संन्यासी हो गया। अखाड़ों में तो यह हो रहा है न। आओ जी, महामंडलेश्वर बन जाओ, आओ जी, श्रीमहंत बन जाओ। श्रीमहंत का पांच लाख, महामंडलेश्वर का बीस लाख। सब लोग जानते है, पर कोई नहीं बोलता।’ तो ‘दक्षिणा पंथ’ सबसे कारगर है। एक अन्य रील बताती है कि 2016 में मुम्बई से 1,300 किलोग्राम इफेड्रिन तस्करी कर केन्या भेजी गई। कीमत थी- दो हजार करोड़ रुपए। मुम्बई की ठाणे पुलिस ने एफआईआर में ममता कुलकर्णी को भी नामजद किया। लेकिन मुम्बई हाईकोर्ट ने एफआईआर खारिज़ कर दी। ममता दुबई चली गई ड्रग लार्ड विकी गोस्वामी के पास।
साइबर स्पेस में एक और इंटरव्यू चल रहा है। चैनल का सवाल-‘विकी गोस्वामी से कैसे मिलीं?’ ममता-‘वो एक टाइकून था। मुझे अच्छा लगा। मीठा आदमी था, गुजराती था। मुझसे बोला- ‘हाऊ ऑर यू माई डार्लिंग। कैसी हो?’ ममता यादों में खो जाती है। पत्रकार- ‘आप पर छोटा राजन गैंग से भी संपर्क के एलिगेशन लगे थे? ममता चहकती है- ‘हां.. हां एक काम करो। छोटा राजन है। अभी जिंदा है?’ ‘हां, अभी तिहाड़ जेल में है।’ पत्रकार आगे बताता है-‘उनको उम्रकैद की सजा लगी हुई है।’ ममता कहती है- ‘तिहाड़ जेल में छोटा राजन है न। उनको जाकर पूछो आप- ममता कुलकर्णी को जानते हो? कभी जीवन में उसने फोन किया किसी गधे के लिए? सॉरी टू यूज दिस वर्ड। किस चीज के लिए मुझे कभी छोटा राजन की ज़रूरत पड़ी होगी मुझे। आई वॉज ए सुपर स्टार।’
‘फिर आपके साथ उसका नाम कैसे जुड़ा?’ ममता बोलती है-‘आपको मालूम है, दस मुंह दस बातें। मनुष्य ने किसी को छोड़ा है क्या? वे भगवान को नहीं छोड़ते। श्रीकृष्ण को नहीं छोड़ा। सीता मां को नहीं छोड़ा। तो मैं किस खेत की मूली हूं। तो मैं कौन हूं? हू एम आई?’ पत्रकार जिद्दी है। पूछता है- ‘विकी गोस्वामी दो हजार करोड़ का ड्रग कारोबार चलाता था। वह जब दुबई की जेल में कैदी बना तो उसके बाद आप उसके गैंग को चलाने लगीं? इस आरोप में कितनी सच्चाई है? दूसरा सवाल- विकी गोस्वामी का आपके साथ रिलेशनशिप का स्टेटस क्या है? क्या वो आपका पति है?’ ममता-‘नहीं, वो मेरा पति नहीं था। उतना समय ही नहीं था। मैं दुबई जेल गई उससे मिलने। तब मेरी एक्चुअल तपस्या शुरू हुई। मैंने कोशिश की अपने ध्यान द्वारा, तप द्वारा उसे जेल से बाहर निकालूं। मेरी तपस्या रंग लाई। वह जेल से निकला। तब मेरी कुंडलिनी शक्ति यहां तक आई थी।’ (सिर पर हाथ रखते हुए) तब तक मेरी सब इच्छाएं खत्म हो चुकी थीं। आदमी के लिए, प्यार के लिए। मुझे लगा मैं इसके साथ क्यों जाऊं। मैं एकदम पत्थर जैसी हो गई थी। और वो दुबई से केन्या चला गया। इधर कुंभ मेला शुरू हुआ तो मैं इधर आ गई।’