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MP विधानसभा चुनाव में यहाँ कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी BSP!

उत्तर प्रदेश के इटावा और झांसी के बाद मध्य प्रदेश का ग्वालियर और भिंड जिला आता है। अगर 2013 में यहां बीएसपी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़तीं तो 16 में से 13 सीटों पर बीजेपी को बुरी तरह से हरा सकती थीं। हालांकि, बीजेपी ने 11 सीटें जीती थीं। स्थानीय नेताओं को भरोसा है कि पार्टी फिर से यह कमाल दोहरा सकती है। उधर, अकेले चुनाव मैदान में उतरी बीएसपी यहां इस बार भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है।

 कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी BSPभिंड सीमावर्ती क्षेत्रों में बीएसपी की बढ़ती ताकत की मिसाल है। मायावती की पार्टी ने 2013 विधानसभा चुनाव में यहां दूसरी पोजिशन हासिल करके कई लोगों को हैरान कर दिया था। इसने भिंड में कांग्रेस को एकदम बेबस कर दिया, जिसे महज 21,000 के आसपास वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। वहीं, बीएसपी को इससे दोगुने (करीब 45,000) वोट मिले थे। बीजेपी उम्मीदवार को 51,000 वोटों के साथ जीत मिली थी।

बीएसपी ने ग्वालियर की पहाड़ी सीट पर भी कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया था। उसे करीब 49,000 वोट मिले थे। यह सीट भी बीजेपी ने ही जीती थी। बीएसपी को इस क्षेत्र की सभी सीटों पर अच्छी-खासी संख्या में वोट मिले थे। अगर बीएसपी और कांग्रेस के वोट मिला दिए जाएं तो 16 में से 13 सीटों पर उन्हें बढ़त हासिल थी।

‘इससे कांग्रेस को नुकसान’
चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी कांग्रेस के टिकट पर भिंड से चार विधायक रह चुके हैं। वह 2013 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया, ‘अगर कांग्रेस और बीएसपी का गठबंधन होता तो ग्वालियर और भिंड की ज्यादातर सीटें उनके खाते में जातीं। यह अलायंस पूरे प्रदेश में शानदार प्रदर्शन कर सकता था।’ चतुर्वेदी पिछला चुनाव नहीं लड़े थे। उन्होंने कहा कि इसकी वजह बीएसपी का असाधारण प्रदर्शन था, लेकिन वह इस बार चुनाव लड़ना चाहते हैं। ब्राह्मण नेता ने बताया, ‘मैंने बीजेपी से टिकट मांगा है। अगर पार्टी मुझे टिकट देती है तो ठीक है, नहीं तो मैं अपने दम पर चुनाव लड़ूंगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि सवर्णों में SC/ST एक्ट पर बीजेपी के रवैये से काफी नाराजगी है। उन्होंने कहा, ‘बीएसपी यहां कोई सीट नहीं जीतेगी, लेकिन वह कांग्रेस को जरूर नुकसान पहुंचाएगी।’

बीएसपी का यह दांव

बीएसपी इस बार भी संजीव सिंह पर दांव लगा रही है। वह भिंड से बीजेपी के टिकट पर चार बार सांसद रह चुके राम लखन सिंह के बेटे हैं। संजीव कहते हैं, ‘इस बार हम भिंड-ग्वालियर क्षेत्र में कई सीटें जीतेंगे। पिछली बार मैं भिंड सीट लगभग जीत ही गया था।’ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों इस क्षेत्र की अहमियत को समझते हैं। शाह ने मंगलवार को शिवपुरी, गुना और ग्वालियर का दौरा किया, जबकि राहुल अगले हफ्ते यहां आएंगे।

कांग्रेस नेता बोले- बीएसपी को दिया जा रहा ज्यादा भाव
एक कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यहां बीएसपी को जरूरत से ज्यादा भाव दिया जा रहा है क्योंकि वह भिंड की दोनों आरक्षित सीटों- गोहड़ और भांदर पर चौथे नंबर रही थी। ग्वालियर की दो आरक्षित सीटों में से डाबरा सीट पर उसका प्रदर्शन काफी कमजोर था और वह तीसरे नंबर रही थी। वहीं, करेरा में उसने कड़ी टक्कर दी थी। इस सीट के लिए पार्टी उम्मीदवार की घोषणा भी कर चुकी है। भिंड के कई लोगों को बीएसपी के किसी अन्य प्रदेश नेता का नाम भी याद नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि वे हाथी (बीएसपी चुनाव चिन्ह) और मायावती को जानते हैं।

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