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अपने मानवाधिकार हनन पर बोले नसीरुद्दीन, एमनेस्टी इंटरनेशल ने किया समर्थन

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन शाह के बयानों को लेकर अब मानवाधिकार के लिए लड़ने वाली दुनिया की अग्रणी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशल भी कूद गई है। एमनेस्टी ने नसीरुद्दीन के उस बयान को अपना समर्थन दिया है जिसमें नसीरुद्दीन शाह मौजूदा सरकार के कार्यकाल में बोलने की आजादी पर सवाल खड़े कर रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशल इंडिया के आधिकारिक सोशल मीडिया ट्वीटर एकाउंट पर शुक्रवार को एक वीडिया जारी किया गया है। जिसमें नसीरुद्दीन कह रहे हैं कि आज जो लोग व्यवस्था, अधिकारों भ्रष्टाचार को लेकर अवाज उठा रहे उनकी अवाज जेलों में बंद कर दिया जा रहा हैं। जो इन सब के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उनके दफ्तरों पर रेड डालकर उनके लाइसेन्स कैंसल करके, बैंक एकाउंट फ्रीज करके उनकी अवाज को खामोश किया जा रहा है ताकि वो सच न बोलें। उन्होंने आगे कहा कि कलाकार, फनकार, गीतकार यहां तक की जर्नलिस्ट को भी बोलने नहीं दिया जा रहा है। मजहब के नाम पर नफरत की दीवारें खड़ी की जा रही हैं, मासूमों को मारा जा रहा है।

पूरे देश में नफरत और मौत का बेखौफ नाच चल रहा है। नसीर ने वीडियो में यह भी पूछा कि जहां सिर्फ अमीर और ताकतवर की ही आवाज को सुना जाए, जहां अमीर और कमजोर को हमेशा कुचला जाए, क्या हमने ऐसे ही भारत की कल्पना की थी? वीडियो के अंत में नसीर ने कहा ”जहां ऐन था, उधर अब अंधेरा।” उल्लेखनीय है कि नसीरुद्दीन ने हाल ही में एक समाजिक संस्था ””कारवाने मोहब्बत”” को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सांप्रदायिकता का जिन्न बाहर आ गया है और उसे बोतल में फिर बंद करना नामुमकिन लगता है। उन्होंने आगे कहा था कि उन्हें अपने बच्चों को कोई मजहबी तालीम नहीं दी है, केवल उन्हें मानवीय मूल्य और अच्छाई-बुराई की सीख दी है। उन्हें इस बात को लेकर चिंता होती है कि कभी कहीं कोई भीड़ उनके बच्चों को घेरकर सवाल पूछ सकती है कि उनका मजहब क्या है। बच्चों के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात से उन्हें डर नहीं लगता बल्कि उन्हें इस पर गुस्सा आता है और उनका मानना है कि सही तरीके से सोचने वाले हर व्यक्ति को गुस्सा आएगा।

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