जगदलपुर : जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर ग्राम घाटकवाली के ग्राम पुजारी मंगतू राम कश्यप और ग्रामीण गांव की जमींदारीन जलनी माता का छत्र लेकर इंद्रावती नदी के किनारे नावघाट में एकत्र हुए। यहां शताब्दियों पुरानी परंपरानुसार सोने की नाव और चांदी की पतवार धान की बाली, लाई-चना, लांदा, गुड़, चिवड़ा, अंडा के अलावा सफेद बकरा-मुर्गा अर्पितकर घाटजात्रा पूजा विधान संपन्न किया जाकर ग्रामदेवी जलनी माता से नवाखानी त्योहार मनाने की अनुमति मांगी। इस दौरान ग्रामदेवी जलनी माता के पुजारी, भक्त तथा ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में मनाए जाने वाला ग्रामीणों का सबसे महत्वपूर्ण नया खानी त्योहार मनाने का क्रम शुरू हो चुका है। इसी कड़ी में घाट कवाली में 6 सितंबर को नया खानी त्यौहार मनाया जाएगा। विदित हो कि पूरे बस्तर संभाग के विभिन्न ग्रामों में वहां के ग्राम देवी देवता की पूजा विधान के साथ ग्राम पुजारी-सिरहा-गुनिया के द्वारा परंपरानुार प्रतिवर्ष देवी देवताओं से अनुमति लेने की प्रक्रिया का अनुपालन कर अलग-अलग तिथि पर नया खानी त्यौहार मनाये जाने की परंपरा शताब्दियों से आज भी जारी है।
घाट कवाली के ग्राम पुजारी मंगतू राम कश्यप ने बताया कि आगामी 06 सितंबर को ग्राम घाट कवाली में नवाखानी त्योहार मनाने की अनुमति दी है। घाटजात्रा में ग्राम प्रमुखों के अलावा करंजी, भाटपाल, चोकर, कुड़कानार के ग्रामीण भी शामिल रहे। पूर्व सरपंच सुकरु राम कश्यप ने बताया कि यह परंपरा लगभग सात सौ वर्षों से चली आ रही है।