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NEET बनी देश की सबसे बड़ी परीक्षा, 21 लाख आवेदन, एक्सपर्ट से जानें क्यों बढ़ा क्रेज?

मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए नीट एग्जाम इस बार नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. इस साल करीब 21 लाख 10 हजार उम्मीदवारों ने अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET UG) 2023 के लिए आवेदन किया है. इस लिहाज से नीट यूजी परीक्षा देश की सबसे बड़ी परीक्षा होगी. नीट यूजी एग्जाम 07 मई 2023 को सिंगल शिफ्ट में दोपहर 02 बजे से शाम 5:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा.

नीट और जेईई की तैयारी कराने वाले जाने-माने कोचिंग संस्थान के वरिष्ठ शिक्षक शशि प्रकाश सिंह ने aajtak.in को बताया कि इसके पीछे कई वजहे हैं. इनमें सबसे बड़ी वजह बीते सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीटों में बढ़ोत्तरी है. बीते कुछ वर्षों में देश में एम्स समेत दूसरे मेडिकल कॉलेज खुले हैं. इसके अलावा इंजीनियरिंग के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा और जेईई मेंस, जेईई एडवांस आदि कई लेवल पर एग्जाम भी छात्रों को नीट की तरफ ले जा रहा है.

दिल्ली के श‍िक्षाविद राजीव झा कहते हैं‍ कि ऐसा देखा गया है कि इंजीनियिर‍िंग या दूसरी परीक्षाओं के बाद प्लेसमेंट की दर उतनी नहीं होती, जितनी कि नीट परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को अवसर मिलते हैं. डॉक्टरी का क्रेज प‍िछले कुछ सालों में इसलिए भी ज्यादा बढ़ा है क्योंकि छात्राओं का पास पर्सेंटेज बढ़ा है. हमारे देश के पारंपरिक कोर्सेज में छात्राओं को डॉक्टर बनने की नसीहतें बचपन से मिलती हैं. उनके लिए ये सिक्योर कोर्स माना जाता है, जिसमें ज्यादा ट्रांसफर या फील्ड जॉब नहीं होती. छात्राएं शादी करके परिवार के साथ डॉक्टर के तौर पर अपने करियर को बेहतर बना लेती हैं.

केजीएमयू लखनऊ के मेडिसि‍न विभाग के प्रोफेसर डॉ कौसर उस्मान का कहना है कि डॉक्टर का रुतबा समाज में अन्य दूसरे करियर से बहुत ज्यादा होता है. इसमें स्टेबिल‍िटी के साथ साथ समाज सेवा के अवसर दूसरी नौकरियों से कहीं ज्यादा मिलते हैं. एक डॉक्टर के तौर पर समाज में भी बहुत सम्मानपूर्ण छवि होती है. कुल मिलाकर सामाजिक नजरिये से देखा जाए तो मेडिकल फील्ड में अवसर में बढ़ोत्तरी होने के कारण लोगों ने इस पेशे को अपनाने में और भी उत्सुकता जताई है. डॉक्टरी का पेशा एक संतोषजनक करियर है.

नीट यूजी 2023 के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 06 अप्रैल थी. इस परीक्षा के माध्यम से देश के 660 मेडिकल कॉलेजों में 101,043 सीटें भरी जाएंगी. इनमें 50 हजार से ज्यादा सीटें सरकारी हैं. कुल सीटों के हिसाब से देखा जाए तो यूजी मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए एक सीट पर 21 स्टूडेंट्स का रेशो है और एक सरकारी सीट पर 40 स्टूडेंट्स दौड़ में हैं.

2014 के बाद से देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 71 प्रतिशत और और एमबीबीएस सीटों में 97 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. मार्च 2023 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद में बताया था कि 2014 से पहले के 387 से अब तक 660 मेडिकल कॉलेजों में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि एमबीबीएस की सीटों में 97 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने जानकारी दी थी कि 2014 के बाद मेडिकल सीटें 51,348 से बढ़कर अब 101,043 हुई हैं, जिनमें 52,778 सरकारी सीटें हैं और बाकी 48,265 सीटें प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध हैं.

वहीं अगर पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल सीटों की बात करें तो पीजी 110 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 से पहले 31,185 थी जो अब बढ़कर 65,335 सीटें हो गई हैं. इसमें 13,246 डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (DNB) / फैलोशिप ऑफ नेशनल बोर्ड (FNB) पीजी सीटें और 1621 पीजी सीटें फिजिशियन कॉलेज में और सर्जन (सीपीएस) की शामिल हैं.

नीट यूजी के बाद इन कोर्स में होगा एडमिशन
एमबीबीएस (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surgery)
बीडीएस (Bachelor of Dental Surgery)
बीएएमएस (Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery)
बीएचएमएस (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery)
बीयूएमएस (Bachelor in Unani Medicine and Surgery)
बीएनवाइएस (Bachelor of Naturopathy and Yoga Sciences)
इसके अलावा कुछ नर्सिंग कोर्स, वेटेरनरी, पेरामेडिकल कोर्स में भी एडमिशन होंगे.

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