राजनीति

टीएमसी के विरोधी पर नीतीश की ‘ममता’, क्या ले रहे हैं बदला ?

देहरादून (गौरव ममगाईं)। भले ही इंडिया गठबंधन में विपक्षी पार्टियां सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हों, लेकिन अंदरखाने बड़े नेताओं में महत्वाकांक्षाओं के चलते खूब खींचतान चल रही है। अब एक बार फिर नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के बीच मनमुटाव की चर्चाओं को बल मिल गया है, क्योंकि आगामी 17 जनवरी को बिहार के सीएम नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे। सबसे बड़ी बात ये है कि नीतीश कुमार कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी के धुरविरोधी लेफ्ट पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार के इस कदम के पीछे बड़े सियासी मायने हैं। इंडिया गठबंधन की पिछली बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम कैंडिडेट बनाने का सुझाव दिया था। चर्चा है कि ममता बनर्जी द्वारा समय से पहले अचानक यह सुझाव देना नीतीश कुमार को पसंद नहीं आया था। यही कारण है कि नीतीश, अब ममता बनर्जी के धुर-विरोधी लेफ्ट पार्टी के दिवंगत नेता ज्योति बसु की पुण्यतिथि पर होने वाले कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं। यह ममता बनर्जी के लिए झटके जैसा होगा। क्योंकि पश्चिम बंगाल में अभी यह तय नही है कि ममता बनर्जी की टीएमसी, लेफ्ट के साथ गठबंधन को लागू करेगी या नहीं… दरअसल, पश्चिम बंगाल में टीएमसी ही सबसे बड़ी पार्टी है। यहां कांग्रेस, लेफ्ट मिलकर अपने अस्तित्व को बचाने में लगे रहते हैं। उन्हें डर है कि यदि वो टीएमसी से हाथ मिला लें तो उनका बचा हुआ अस्तित्व भी खत्म हो जायेगा। इसलिए कांग्रेस, लेफ्ट पार्टियां, टीएमसी का खुलकर विरोध करती हैं।   

 वहीं, बता दें कि अक्सर चर्चा होती है कि नीतीश कुमार भी खुद को पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट करवाना चाहते हैं। तभी उन्होंने इंडिया गठबंधन में सूत्रधार की भूमिका निभाई थी। हालांकि, नीतीश कुमार इन कयासों का कई बार खंडन करते रहे हैं। अब देखना होगा कि 17 जनवरी को कोलकाता के दौरे पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे या नहीं.. यही नीतीश-ममता के बीच के मौजूदा रिश्ते की हकीकत को सबके सामने ला देगा।  

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