नेक मुसलमान की पहल !
स्तंभ: कई सेक्युलर, प्रगतिशील तथा जनवादी मुसलमान हैं जिनकी ऐलानिया तौर पर मांग है कि भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को क्षमा कर दिया जाये। इन इस्लामियों का मानना है कि अल्लाह रहीम है, दयालु है। वे सब परवरदिगार के कृपापात्र हैं। इसी संदर्भ में इस्लामी विद्वानों के इस सौ वर्ष पुराने संगठन जमियते उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सोहेब काज्मी ने कहा कि शीघ्र ही हजार ज्ञानियों से अधिक व्यक्तियों के हस्ताक्षर से जमियत एक फतवा जारी होगा जिसमें पैगंबर के नाम पर हिंसक प्रदर्शन करने पर सख्त पाबन्दी लगायी जायेगी। पैगम्बर के अपमान को तो कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। मगर सांप्रदायिक तनाव नहीं सर्जाया जायेगा। मौलाना काज्मी ने मदनी गुट के अर्शद मदनी की आलोचना की कि वे विघटनकारी प्रवृत्ति में लिप्त हैं। आल इंडियन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड तथा आल इंडिया मजलिसे इतिहादे मुसलमीन के सांसद असदुद्दीन औवैसी की उन्होंने निंदा की।
मौलाना काज्मी ने कानपुर के मौलाना मुफ्ती नदीम की चेतावनी का उल्लेख किया। इस मौलवी ने कहा था कि वह सिर पर कफन बांध कर सड़कों पर निकलेगा। मगर जब प्रदर्शन हुआ तो युवाओं को झोंक दिया, जो जेल गये। लाठी खाये। खुद तो मौलाना गायब हो गये थे। ये कैसे लोग है जो निरीह लोगों को उकसाते हैं और शिकार बनाते हैं ? पूछा काज्मी साहब ने।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने एक दहशत इन उपद्रवियों के दिल में पैदा कर दी है। सार्वजनिक संपत्ति को जो भी क्षति पहुंचायेगा, भरपायी उसी को करनी होगी। मसलन कानपुर में जुम्मे की नमाज के बाद हुये विरोध प्रदर्शन का खलनायक है हयात जफर हाशमी। उसका अवैध महलनुमा मकान प्रयागराज में ध्वंस कर दिया गया। एक रपट के अनुसार बेकनगंज की सील की गयी इमारत में उद्रवियों के इकट्ठा होने और यहां से पथराव करने के साक्ष्य भी सामने आये थे। वहीं चमनगंज स्थित इमारत का निर्माण कराने वाले बिल्डर का हयात एंड कम्पनी से कनेक्शन साबित हुआ है। इसलिये इन सभी इमारतों को सील कर दिया गया है। पुलिस की जांच में पता चला कि हयात जफर हाशमी को बड़े पैमाने पर फंडिंग की जाती रही। बिल्डर हाजी वसी का नाम सुना गया है। पता चला कि हाजी वसी ही हयात को मुख्य फंडिंग करने वाला है। हाजी वसी की तरफ से जाजमऊ वाजिदपुर में 200 वर्गमीटर में अवैध रुप से भूतल पर स्लैब डालकर 10 दुकानों का निर्माण कराया जा रहा था। केडीए ने इस बिल्डिंग को सील कर नोटिस चस्पा कर दिया। इसी तरह बेकनगंज में 95/95 विश्वनाथ का हाता में सलीम उर्फ जानी वाकर 60 वर्ग गज में पांचवें तल का निर्माण करा रहा था।
साजिशकर्ताओं में से खास एक निजाम कुरैशी ने बताया कि उनका मकसद बगैर सामने आये भीड़ जुटाना व भड़काना था। ताकि बवाल भी हो जाये और हयात एंड कम्पनी का नाम भी न आये। निजाम को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। एसआईटी समेत अन्य पुलिस अफसरों, आईवी व एटीएस के अफसरों ने उससे पूछताछ की।मगर प्रश्न उठा है कि उन इस्लामी संगठनों की भूमिका का जो मजहबी आड में दंगे भड़काते हैं। मसलन जमियत के मदनी धड़े ने उग्रवादियों से संवेदना और समर्थन व्यक्त किया है। जबकि मौलाना काज्मी खुद राष्ट्रवादी और सेक्युलर रहे। उन्होंने आतंक के पक्ष में इस्लाम के प्रयोग का जमकर विरोध किया। उन्होंने मौलाना मदनी पर आरोप लगाया कि वे पृथकतावाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इस बीच मदनी का बयान था कि छात्र—छात्राओं के सह—अध्ययन वाले स्कूलों—कॉलेजों के वे विरोधी हैं। ठीक यही बात काबुल में तालिबानी हकूमत ने कही थी।
इसके अलावा हर सेक्युलर सरकारी निर्णय के मदनी विरोधी हैं। सूर्य नमस्कार तथा योग की उन्होंने जमकर मुखालफत की थी। उन्हें कई मायनों में औरंगजेबी नीति का पक्षधर माना जाता है। वे समान नागरिक संहिता का घोर विरोध करते हैं। ज्ञानवापी तथा ईदगाह मसलों पर कट्टरवादी रुख अपनाते हैं। तुलनात्मक रुप से मौलाना काज्मी ने हिन्दुओं को सावधान किया है कि वे ओवैसी तथा डा. मोहम्मद अयूब जैसों का उग्रवादियों का विरोध करें। योग का उन्होंने समर्थन किया है। मौलाना काज्मी धार्मिक सामंजस्य तथा समन्वय के अनन्य पक्षधर हैं। अत: हर सेक्युलरवादी तथा बहुसंख्यकों को मौलाना काज्मी की प्रशंसा करनी चाहिये। वे दंगा और हिंसा की खुली भर्त्सना करते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)