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अब नहीं अटकेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, जानिए क्यों खास है गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान?

Gati Shakti National Master Plan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए देश का सबसे बड़ा नेशनल मास्टर प्लान को लांच किया,गतिशक्ति योजना में 16 मंत्रालयों से जुड़े करीब 100 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट को आपस मे जोड़कर तैयार किया जाएगा, किसी भी प्रोजेक्ट में अब रुकावट नहीं होगी ये कैसे होगा देखिए ये रिपोर्ट. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भाषा में ही कहें तो अब देश में कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं अटकेगा, न लटकेगा न ही भटकेगा….यानी अब ऐसा नहीं होगा कि एक एजेंसी सड़क बनाए तो दूसरी केबल या पाइप बिछाने के लिए बनी बनाई सड़क को फिर से खोद कर चली जाए…सरकार की अलग अलग मंत्रालयों, विभागों एजेंसियों में तालमेल नहीं होने की वजह से ऐसे उदाहरण अक्सर देखने को मिलते हैं.
एक नेशनल मास्टर प्लान तैयार

इसी कार्यशैली में आमूल-चूल बदलाव के लिए सरकार ने एक नेशनल मास्टर प्लान तैयार किया है…करीब दो महीने पहले 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले के प्राचीर से खुद प्रधानमंत्री ने ही गति शक्ति प्रोजेक्ट का ऐलान किया था.पीएम मोदी ने कहा कि खराब क्वालिटी पैसे की बर्बादी को लेकर जनता के सामने बड़ी खराब छवि बनी ऐसा जनता सोचती है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

दरअसल गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत GFXIN अब कोई भी महत्वपूर्ण इन्फ्रा डेवलपमेंट का काम कॉमन टेंडरिंग के ज़रिए होगा.जैसे ग्रीनफील्ड रोड, रेल, ऑप्टिकल फाईबर, गैस पाईपलाईन, इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए एक ही टेंडर जारी किया जाएगा…ताकि केंद्र राज्यों की अलग अगल एजेंसियां लोकल अथॉरिटी के साथ- साथ प्राईवेट सेक्टर बेहतर तालमेल के ज़रिए काम को अंजाम दे सके…इसके लिए रेलवे, सड़क राजमार्ग, पेट्रोलियम, टेलीकॉम, एविएशन इंडस्ट्रियल पार्क बनाने वाले विभागों समेत 16 मंत्रालयों का एक ग्रुप बनाया गया है.

प्रधानमंत्री मोदी जब पहली बार 2014 में जीतकर केंद्र की सत्ता में आए थे…तभी उन्होंने इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर का गठन किया था… इसके पीछे सोच कारोबार जीवन को आसान बनाने यानी ईज़ ऑफ डूइंड के साथ-साथ ईज़ ऑफ लिविंग की थी ताकि प्रोजेक्ट्स सही समय पर पूरे हों, लागत कम की जा सके, व्यापार बढ़ाया जा सके साथ ही निवेशकों को इस बात की चिंता न हो कि किसी भी स्तर पर मंजूरी नहीं मिलने की वजह से पूंजी डूब सकती है.सरकार को उम्मीद है कि मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के साथ कॉमन टेंडरिंग प्रोसेस एक गेम चेंजर साबित होगा.

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