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ओलंपिक : हॉकी टीम के कांसे की चमक में यूपी के ललित और सिमरनजीत का तहलका

स्पोर्ट्स डेस्क : पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक में 41 वर्ष बाद इतिहास रचा है जिसमे यूपी के दो प्लेयर्स ने बड़ी भूमिका निभाई है. वाराणसी के फारवर्ड मिडफील्डर ललित उपाध्याय ने अपनी पोजीशन पर खेलते हुए पूरी टीम को बांधे रखती.

पीलीभीत के सिमरनजीत सिंह ने दो गोल किये. उन्होंने तीसरा पेनल्टी कॉर्नर बनाया जिसे साथियों ने गोल में बदला. साधारण परिवारों से आने वाले हॉकी के इन दोनों प्लेयर ने अपनी मेहनत के बल पर भारतीय टीम में जगह बनायी है.

ललित के पापा सतीश ने जीत को बाबा का आशीर्वाद बोला

वाराणसी में ललित के गांव में जश्न का माहौल है. मिठाइयां बांटी जा रही हैं. ललित के पापा सतीश ने जीत को बाबा का आशीर्वाद बोला. उन्होंने बोला कि कि मुझे अपने बेटे पर भरोसा था. वो बचपन से जुझारू रहा है. वो जो ठानता है करके दिखाता है.

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ललित वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र के गांव भगतापुर के अति मध्यम परिवार से हैं. इनके पिता सतीश छोटी सी कपड़े की दुकान चलाते है. दो भाइयों में छोटे ललित भारत पेट्रोलियम में अफसर हैं. बड़ा भाई भी हॉकी खिलाड़ी है. यूपी कॉलेज में साई के कोच परमानंद मिश्रा ने ललित को हॉकी का ककहरा सिखाया.

पीलीभीत में सिमरनजीत के घर में लोग ख़ुशी में डूबे

उनका चयन 2018 में राष्ट्रीय हॉकी टीम में हुआ. ललित 200 से अधिक इंटरनेशनल मैच और कॉमनवेल्थ, एशियन व वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेल चुके है. दूसरी ओर पीलीभीत में सिमरनजीत के घर भंगड़ा हो रहा है. लोग खुशियां मना रहे हैं.

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सिमरनजीत सिंह के पिता इकबाल सिंह बोलते है ये देशवासियों की दुआओं का असर है. इकबाल ने बोला सिमरनजीत जुझारू है. उसने 17वें मिनट और 34वें मिनट गोल दागा. सिमरनजीत यूं तो मूलत: पंजाब के बटाला के हैं, पर अब उनका परिवार यूपी के पीलीभीत में रहता है.

सीएम योगी ने दी बधाई

हॉकी में जीत पर यूपी के सीएम योगी ने बोला कि, आज की सफलता ने भारतीय हॉकी के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय को जोड़ा है. ‘टीम इंडिया’ की इस अविस्मरणीय उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है. हार्दिक बधाई ‘टीम इंडिया’. साथ ही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी जीत पर शुभकामनाएं दीं हैं.

ओलंपियनों की राय

लंदन और रियो ओलंपिक खेल चुके हॉकी ओलंपियन दानिश मुज्तबा ने बोला कि, ये हॉकी के गोल्डन एरा का फिर से आगाज है. हॉकी फिर से देश के गली-कूंचों तक नजर आएगी. इससे हॉकी की नई पौध को ताकत मिलेगी. हॉकी के रहनुमाओं को चाहिए कि वो हॉकी की तरक्की के लिए काम करें,

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हॉकी ओलंपियन लक्ष्मण एवार्डी और पूर्व कप्तान सुजीत कुमार ने बोला कि चार दशक बाद हॉकी का स्वर्णिम दिन लौटा. अब हॉकी ऑफिशियल की बारी है. सरकार अगले 20 से 25 वर्षों के लिए लिए योजना बनाकर हॉकी की उभरती प्रतिभाओं को परखे. उन्हें जॉब सिक्योरिटी दे और 200 नहीं 2000 खिलाड़ियों की स्ट्रेंथ की सोचे. राज्य सरकारें प्लेयर्स को प्रोत्साहित करने वाली योजनाएं बनाये तभी हॉकी का भला होगा और लोग अपने बच्चों को हॉकी के प्रति प्रेरित कर सकेंगे.

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