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दिल्ली निगमों के कुछ ही कर्मचारी मना सकेंगे दिवाली

नई दिल्ली: दिवाली के त्योहार को देखते हुए हर तरफ खुशी का माहौल है, लेकिन तीनों निगमों के कुछ ही कर्मचारियों की इस वर्ष दिवाली शुभ होगी, जबकि अन्य कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं मिल सका है। दिल्ली निगमों पर किसी न किसी कर्मचारी का वेतन बकाया है। यदि वेतन बकाया नहीं तो पेंशन, एरियर और बोनस बकाया है। हालांकि सोमवार को निगम के बाहर निगम के स्कूल शिक्षकों ने वेतन को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया।

तीनों निगमों में डीबीसी कर्मचारियों की माली हालत खराब है। उनके मुताबिक, 3 महीने की तनख्वाह अभी तक नहीं आ सकी हैं। हालांकि दक्षिणी निगम के डीबीसी कर्मचारियों का कोई बकाया नहीं है। घरेलू प्रजनन जांचकर्ता (डीबीसी) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवानंद शर्मा ने बताया, उत्तरी और पूर्वी निगम में बुरा हाल है, उत्तरी निगम में 3 महीने की तनख्वाह अभी तक नहीं सकी है। हम इस मसले पर निगमों के महापौर से भी मुलाकात करते रहते हैं। लेकिन वह दिल्ली सरकार पर ही दोष मढ़ते हैं।

उन्होंने कहा, कर्मचारी दिवाली कैसे मनाएंगे? हमें बोनस भी नहीं मिला है। पूर्वी निगम में 2 महीने से तनख्वाह नहीं आई है। वहीं दक्षिणी निगम में कोई बकाया नहीं है। जानकारी के अनुसार, तीनों निगमों में डीबीसी के कुल 3500 कर्मचारी हैं। उत्तरी में 1537, पूर्वी में 710 और दक्षिणी में 1350 कर्मचारी हैं।

वहीं निगमों में निगम स्कूलों के शिक्षकों के बकाया वेतन की बात करते हुए नगर निगम शिक्षक संघ महासचिव रामनिवास सोलंकी ने कहा, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में हमारा सितंबर और अक्टूबर महीने का वेतन बकाया है। वहीं दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में सिर्फ अक्टूबर महीने का वेतन बकाया है।

तीनों निगमों में कुल 18 हजार 700 टीचर्स हैं, इनमें उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 8 हजार, पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 5 हजार और करीब 4700 टीचर्स दक्षिणि दिल्ली नगर निगम में हैं। उन्होंने आगे बताया, महापौर से हमारी बात हुई, उन्होंने कहा कि निगम का दिल्ली सरकार ने कटौती की है। दूसरी ओर, निगमों के सफाई कर्मचारियों की बात करें तो उनको दिवाली पर ज्यादा दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि तीनों निगमों में इन सभी की तनख्वाह मिल चुकी है।

दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व अध्यक्ष और अखिल भारतीय श्रमिक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत लाल चावड़िया ने कहा, तीनों निगमों में तनख्वाह मिल गई है, अक्टूबर महीने की 1 तारीख के बाद बकाया हमें मिल जाएगा। लेकिन पेंशन, एरियर और डीए नहीं मिला है। जबकि पूर्वी और दक्षिणी नगर निगम में डीए मिल गया है, लेकिन उत्तरी निगम में अभी नहीं मिला है।

तीनों निगमों में 25 हजार कच्चे कर्मचारी है और करीब 35 हजार रेगुलर कर्मचारी है, लेकिन इनकी संख्या भी घटती जा रही है, क्योंकि कुछ का रिटायरमेंट होने वाला है और कुछ की मृत्यु हो गई है। उन्होंने आगे बताया कि पूर्वी निगम में 13 हजार सफाई कर्मचारी हैं। उत्तरी निगम के 6 जोन में करीब 23 हजार कर्मचारी और दक्षिणी निगम के 4 जोन में अन्य कर्मचारी हैं।

हालांकि तीनों निगम की ओर से यह कहा गया है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। दिल्ली सरकार पर निगमों का पैसा बकाया है, जो नहीं दे रही है। वहीं तीनों निगमों का हर महीने 150 करोड़ से अधिक का खर्च है। इनमें कर्मचारियों की तनख्वाह और अन्य खर्च शामिल हैं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों और नर्सो यानी ग्रुप ए, बी और सी के कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली है। इन सबकी सितंबर महीने की तनख्वाह बाकी है।

उन्होंने कहा, सफाई कर्मचारियों को हमने सितंबर, अक्टूबर महीने का वेतन दे दिया है। हालांकि हम इनका बोनस नहीं दे पाए हैं। इस वर्ष दिल्ली सरकार पर निगम का 525 करोड़ रुपये बकाया है जो नहीं मिला है, हालांकि अब तक मिल जाना चाहिए था।

हालांकि ग्रुप डी कर्मचारियों की तनख्वाह का अब निगमों पर ज्यादा दबाब नहीं है, लेकिन निगमों के ग्रुप ए, बी और सी कर्मचारियों के वेतन पर समस्या बनी हुई है।

वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति के अध्यक्ष जोगीराम जैन ने बताया, हमारे सफाई कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है। सितंबर महीने का वेतन हम 2 दिन पहले दे चुके हैं। अक्टूबर महीने का दिवाली के बाद दिया जाएगा। बाकी सभी अन्य कर्मचारी, जिनमें ग्रुप ए, बी और सी को अगस्त महीने का वेतन मिल चुका है। सितंबर और अक्टूबर महीने का बकाया है।

इसके अलावा, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति के अध्यक्ष

कर्नल (रिटायर्ड) बी के ओबरॉय ने बताया, दो-चार दिन पहले तक निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन और भत्ता नहीं मिले थे, लेकिन ग्रुप डी, ग्रुप बी और ग्रुप सी कर्मचारियों के दे दिए थे। पिछले महीने तक सफाई कर्मचारियों को हमने वेतन दे दिया, लेकिन हम क्लास 1 और 2 कर्मचारियों को उनको वेतन नहीं दे पाए हैं।

उन्होंने कहा, हर महीने निगम को 200 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। सिर्फ 99 करोड़ तो क्लास डी पर ही खर्च होता है।

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