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मध्यप्रदेश के Vaccination System को अपनाएंगे अन्य राज्य

भोपाल : कोरोना संक्रमण काल में महामारी से कुशलतापूर्वक निपटने के बाद मप्र सरकार ने वैक्सीनेशन में भी मिसाल कायम की है। प्रदेश में शहर से लेकर गांवों तक जिस तरह वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया गया और कोल्ड स्टोरेज मैनेजमेंट किया गया उससे प्रदेश में 100 फीसदी टीकाकरण में सफलता मिली है। प्रदेश में चलाए गए वैक्सीनेशन कार्यक्रम और कोल्ड स्टोरेज मैनेजमेंट को अब अन्य राज्य अपनाएंगे।

गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीनेशन में प्रदेश में 100 फीसदी टीकाकरण हो चुका है। सुदूर ग्रामीण अंचलों तक वैक्सीनेशन का काम निर्बाध रूप से चलता रहा। अब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मप्र के वैक्सीनेशन कार्यक्रम और कोल्ड स्टोरेज मैनेजमेंट की तारीफ की है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की संसदीय समिति ने पिछले महीने राज्यसभा में अन्य प्रदेशों को, वैक्सीनेशन के दौरान मप्र मैनेजमेंट को समझने और लागू करने की सलाह दी है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान मप्र ने उत्कृष्ट काम किया था। चाहे अस्पतालों में बेड डिस्ट्रीब्यूशन हो, ऑक्सीजन सप्लाई या वैक्सीनेशन हो, हमने उत्कृष्ट काम किया।

मप्र में वैक्सीनेसन की सफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह है जन भागीदारी। सरकार जनता को यह बताने में सफल रही कि कोरोना महामारी के विरूद्ध पूरी तरह से रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए वैक्सीनेशन काफी कारगर है। वैज्ञानिक तथ्य भी यही कहते हैं कि वैक्सीन की दोनों डोज समय पर लग जाने से व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने की संभावना 93 प्रतिशत तक घट जाती है। साथ ही अस्पताल में भर्ती मरीजों की मृत्यु की संभावना भी नगण्य हो जाती है। प्रदेशवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिये संवेदनशील राज्य सरकार ने लक्षित समूह को वैक्सीन का सुरक्षा कवच देने के लिए पूरी कटिबद्ध रही।
वैक्सीनेशन का शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर टीकाकरण के कई महाअभियान चलाए गए। प्रदेश में वैक्सीन का निर्माण जितनी तेजी से किया गया, उतनी ही रफ्तार से प्रदेशभर में वैक्सीन पहुंचाई भी गई। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सबको वैक्सीन-नि:शुल्क वैक्सीन मंत्र देकर वैक्सीन तक सभी की पहुंच सुनिश्चित की। वैक्सीन की उपलब्धता के साथ उसके उपयोग में मप्र पूरे राष्ट्र में अग्रणी रहा। यह अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मध्यप्रदेश में वैक्सीनेशन के लिए चलाए गए प्रथम टीकाकरण महाअभियान में राष्ट्रीय स्तर पर जो सफलता मिली, उसमें जन-भागीदारी की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है।

प्रदेश में शहर से लेकर दूर दराज तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए फुलप्रूफ सप्लाई चेन बनाई गई। इसके लिए सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया। वैक्सीन का सारा काम ऑनलाइन किया गया। जिले से लेकर छोटे से छोटे सेंटर को इसमें जोड़ा गया। यहां स्टॉक की जानकारी जानकारी के साथ एडवांस ऑर्डर जैसे काम किए गए। उसके बाद वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैपिंग सिस्टम बनाया गया। किस जिले में किस बैच की वैक्सीन जानी है? मांग का आकलन कर उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया। हर जिले में टीम का गठन किया गया। इसके साथ ही अल्टरनेट वैक्सीन डिलीवरी वर्कर की नियुक्ति की गई और राज्य स्तर पर कंट्रोल कमांड सेंटर तैयार किया गया।

वैक्सीन भोपाल से पूरे राज्य को सप्लाई होती थी। इसके लिए प्रदेश को सात जोन, 52 जिले और 313 ब्लॉक में बांटा गया। सेंटरों तक जाने करीब 400 गाडिय़ां लगाई गईं। हर गाड़ी रोज सौ किमी व सभी गाडिय़ां कुल 40 हजार किमी चलती थीं।

राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिये जो भगीरथी प्रयास किये वह किसी से छिपे नहीं हैं। कोरोना की जांच से लेकर उपचार की जो व्यवस्थाएं की गई, उससे प्रदेश में कोरोना संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका है। वैक्सीन का सुरक्षा कवच हर नागरिक को मिल जाए, यह प्रयास राज्य की संवेदनशील सरकार ने किया है। इन प्रयासों में आम नागरिक के साथ धर्मगुरूओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, कोरोना वॉलेंटियर्स, शहरी-ग्रामीण जन-प्रतिनिधियों के साथ समाज के हर वर्ग ने आगे आकर अपनी नैतिक जिम्मेदारी के साथ वैक्सीनेशन महाअभियान में सहयोग किया।

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