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शिमला में बारिश के साथ ओलावृष्टि, ठंड बढ़ने से ठिठुरे लोग

शिमला: राजधानी शिमला सहित प्रदेश के कई इलाकों में बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से हिमाचल में ठंड बढ़ गई है। शिमला में ओलावृष्टि होने से सड़कों पर फिसलन बढ़ गई है, वहीं ठंड बढ़ जाने से लोग ठिठुरने लगे हैं। मौसम विभाग ने सोमवार को मौसम के साफ व शुष्क रहने का अंदेशा जताया था, लेकिन बावजूद इसके सोमवार को यैलो अलर्ट रहा और राजधानी शिमला सहित कई हिस्सों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं पर बर्फ के फाहे गिरे, जिनमें रोहतांग, कमरूनाग, नारकंडा, शिकारी देवी आदि कई इलाकों में बर्फबारी हुई। सोमवार को राजधानी शिमला में बादल खूब बरसे और ओलावृष्टि भी हुई, जबकि मैदानी इलाके बादलों से घिरे रहे।

अब मौसम विभाग ने मंगलवार से हिमाचल के सभी क्षेत्रों में मौसम के साफ व शुष्क रहने का अनुमान जताया है और राज्य में दस दिसम्बर तक मौसम साफ बना रहेगा। शिमला में बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से अधिकतम तापमान में 24 घंटों में माइनस 4.5 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है और अधिकतम तापमान 12.1 डिग्री रहा। जबकि ऊना में राज्य का अधिकतम तापमान 24.6 डिग्री रिकार्ड हुआ है। प्रदेश में न्यूनतम तापमान केलांग में माइनस 5.6 डिग्री रहा, जबकि कल्पा में माइनस 2 डिग्री आंका गया है, वहीं राजधानी शिमला का न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री रहा।

शिमला व सुंदरनगर में 3 मिलीमीटर हुई वर्षा
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार सोमवार सांय 5.30 बजे तक राजधानी शिमला व सुंदरनगर में 3-3 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई है, जबकि देर शाम भी वर्षा का क्रम जारी रहा। इसके अलावा मंडी में 2, कुफरी में 1.2, नारकंडा में 0.5, बरठी में 3 मिलीमीटर वर्षा हुई है। इससे पहले 24 घंटों में बिलासपुर, कोहू, बग्गी, सलापड़ और कुफरी में 2-2 मिलीमीटर वर्षा हुई है।

पिछले वर्ष भी नहीं गिरी थी बर्फ, अब शिमला में बर्फबारी का लोगों सहित कारोबारियों को बेसब्री से है इंतजार
पिछले वर्ष भी राजधानी शिमला में बर्फबारी नहीं हुई थी, जिससे स्थानीय लोगों सहित व्यापारी व कारोबारी सहित पर्यटक हताश नजर आए हैं। इस वर्ष मौसम बर्फबारी के अनुकूल बना हुआ है और लोगों को इस बार बेसब्री से हिमपात देखने की लालसा जगी हुई है। हालांकि प्रदेश की ऊंची चोटियों पर फाहे गिर रहे हैं, जबकि लाहौल-स्पीति, किन्नौर, चम्बा और कुल्लू जिलों की पहाड़ियां बर्फ से ढकी हुई हैं। शीतलहर बढ़ गई है और खासतौर पर प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान माइनस से नीचे चला गया है।

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