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नासिक में जल संकट से मचा हाहाकार, लोग 4KM दूर से पानी लाने को हुए मजबूर

महाराष्ट्र, कहते हैं कि, जल ही जीवन है, देश में पानी और सड़क जैसी मौलिक सुविधाओं का अधिकार आम से खास नागरिक को है। लेकिन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से महज करीब 150 किलोमीटर दूर लोगों को न तो पानी मिल रहा है न सड़क की व्यवस्था है। लोग बूंद -बूंद पानी के लिए तरस रहें हैं। सड़क की व्यवस्था न होने के चलते उबड़-खाबड़ कच्चे रास्ते पर चलकर प्रतिदिन 4 से 5 किमी पैदल चलकर घने जंगल से पानी लाकर अपनी जिंदगी की आखरी सांस को सींच रहे हैं। मायानगरी के नजदीक गांव होने के बावजूद ग्रामीण असुविधा में गुरबत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं।

दरसल मीडिया एजेंसी एएनआई ने मुंबई से कुछ सौ किलोमीटर दूर नाशिक के नजदीक स्थित पिंपलपाड़ा गांव की हालत प्रकाशित की हैं। इस गांव में पानी की व्यवस्था नहीं हैं। ग्रामीण में कंकरीली पगडंडी रास्ते पर चलकर रोज 4-5 किमी अपना पानी का मटका ले चलकर जंगल से पानी ला रहे हैं। पानी और सड़क के किल्लतके बीच उनका जीना दूभर हो गया है। ग्रामीण हर साल के गर्मी की तरह इस बार भी पानी के लिए जूझ रहें हैं। ऐसे में जनता के हितैशी महा अघाड़ी के सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान उठता है।

पिंपलपाड़ा गांव में स्थानीक ने बताया कि, हमारे गांव में कुआं सूख गया है। हमारे गांव में सड़क भी नहीं है। हमें रोज पहाड़ी रस्ते से होकर कई किलोमीटर पैदल रोज पानी के लिए जाना पड़ता है। देश आजाद होने के 70 साल बाद भी हम आजतक मौलिक सुविधाएं न मिलने से परेशानियों का दंश झेल रहें हैं। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि, हमें जल्द से जल्द पानी और सड़क की सुविधा प्रदान कराने की कृपा करें। जिससे गुरबत की जिंदगी जी रहे हम गांव वासियों के जिंदगी में खुशी मिल सके।

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