राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर टिक टॉक जैसे चीनी सोशल मीडिया ऐप को बैन करने और सभी मोबाइल फोन से हटाने की मांग की है. मंच ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने में मदद न करने वाले चीन को ‘दुश्मन देश’ बताते हुए कहा है कि भारत में सभी चीनी कंपनियों और चीनी ऐप पर तत्काल अंकुश लगाया जाए.
स्वदेशी जागरण मंच का यह बयान कश्मीर में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत के चार दिन बाद आया है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार पीएम मोदी को लिखे अपने लेटर में संगठन ने कहा है कि यह सभी भारतीयों का दायित्व है कि किसी ऐसे देश या व्यक्ति को होने वाले आर्थिक फायदों को रोकें जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवादियों का समर्थन करता हो.
स्वदेशी जागरण मंच ने अपने बयान में कहा, ‘ऐसे समय में हमारा यह मानना है कि सरकार चीनी कंपनियों के रास्ते में उसी तरह से रोड़ा अटकाए, जो अपने फायदे के लिए भारत का इस्तेमाल कर रही हैं. जैसा कि अक्सर कहा जाता है कि डेटा अब नया तेल है, इसलिए हमें चीनी कंपनियों को इस बात की इजाजत नहीं देनी चाहिए कि वे बिना किसी रोकटोक या निगरानी के भारतीय यूजर हासिल कर सकें.’
गौरतलब है कि भारत सरकार ने भी हाल में ऐसी नीति लाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंटेन्ट शेयरिंग को आसान बनाने वाले मध्यस्थ ऐप को ज्यादा जवाबदेह बनाया जा सके. इससे चीन के कई सोशल मीडिया ऐप पर असर होगा जो देश के किशोरों में काफी लोकप्रिय हैं.
किशोरों में लोकप्रिय ऐसे ही एक ऐप टिक टॉक (Tik Tok) के भारत में करीब 20 करोड़ यूजर हैं, जबकि पूरी दुनिया में उसके कुल यूजर 50 करोड़ हैं. पिछले कुछ वर्षों में देश में चीनी सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स कंपनियों का विस्तार तेजी से हुआ है और जानकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं मानते. कहा जाता है कि टिक टॉक और हेलो जैसे ऐप चाइल्ड पोर्नोग्राफी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है.
स्वदेशी जागरण मंच ने अपने लेटर में लिखा है, ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे चीनी कंपनियों की वजह से भारतीय स्टार्टअप को नुकसान न हो. चीनी कंपनियों के पास भरपूर नकदी होती है और इसकी वजह से वे भारतीय स्टार्टअप के तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यही नहीं, वे हमारी डेटा प्रभुसत्ता और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पहुंचा सकते हैं.’
संगठन ने कहा कि भारत सरकार को देश में चीनी टेलीकॉम कंपनियों के कारोबार पर भी अंकुश लगाना होगा. इसके मुताबिक, चीनी कंपनियों ने भारत में कई महत्वपूर्ण और संवदेनशील 4जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिए हैं और अब 5जी सेक्टर में भी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इससे सुरक्षा पर खतरा कई गुना बढ़ जाएगा. संभवत: संगठन का इशारा हुवावे और जेटीई जैसी कंपनियों की तरफ है.