पीएम नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान संकट पर अमित शाह, राजनाथ सिंह, अजित डोभाल के साथ बैठक की
नयी दिल्ली: अफगानिस्तान तालिबान के कब्जे के बाद उत्पन्न हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की. पंजशीर पर कब्जे के तालिबान के दावे के बाद हुई पीएम मोदी की इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है.
तालिबान ने दावा किया है कि उसने पंजशीर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है. इसके साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर अब उसका शासन कायम हो गया है. हालांकि, अभी तक तालिबान अपनी सरकार का गठन नहीं कर पाया है. दूसरी तरफ, तालिबान के विरोधी गुट नॉर्दर्न फ्रंट के प्रमुख अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने कहा है कि पंजशीर में अब भी लड़ाई जारी है. तालिबान के खिलाफ उसके लड़ाके हर रणनीतिक मोर्चा पर मौजूद हैं.
इससे पहले, तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा था कि पंजशीर के लोग तालिबानियों के भाई हैं. पंजशीर के निवासियों को मुजाहिद ने आश्वासन दिया कि उनके साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होगा. तालिबान की नयी सरकार सभी लोगों को समान मौका देगी. उल्लेखनीय है कि 15 अगस्त को तालिबान ने पंजशीर समेत पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था.
तालिबान के लड़ाके जब काबुल के बेहद करीब आ गये, तो अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गये. उन्होंने यूएई में शरण ली. बाद में उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित करते हुए तालिबान के खिलाफ एलान-ए-जंग कर दिया. उन्होंने कहा कि वह हथियार नहीं डालेंगे और तालिबान के खिलाफ संघर्ष के लिए लोगों का आह्वान किया.
अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से तालिबान को लगातार पंजशीर में चुनौती मिल रही है. बड़ी संख्या में तालिबान के लड़ाके पंजशीर घाटी में मारे गये. अहम मसूद के नेतृत्व वाले नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) ने तालिबान को कड़ी चुनौती दी. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने हवाई हमला करके तालिबान को पंजशीर पर कब्जा दिलाया. पाकिस्तान की इस हरकत से अमेरिका भी नाराज है.
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि उसके कई प्रतिनिधिमंडलों ने पंजशीर के कुछ प्रमुख नेताओं से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे थे. तालिबान विरोधी गुट के प्रवक्ता फहीम दशती की भी रविवार को संघर्ष में मौत हो गयी. पंजशीर में तालिबान विरोधी लड़ाकों का नेतृत्व पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह भी कर रहे हैं.
पंजशीर में कब्जे के दावों के बीच तालिबान ने सरकार गठन के लिए भी तैयारी शुरू कर दी है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान में नई सरकार के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए चीन, पाकिस्तान, रूस, तुर्की, ईरान और कतर को न्योता भेजा गया है.