लंदन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वॉड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जापान में दो दिवसीय दौरा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री इस दौरे में करीब 23 कार्यक्रमों में शामिल होंगे और साथ ही साथ कई बड़ी मुलाकातें भी करने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और ऑस्ट्रेलिया के पीएम से भी मुलाकात करेंगे. इसके अलावा वे जापान के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने वाले हैं. पीएम का यह दौरा राजनीतिक और कूटनीतिक नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है.
इस बारे में एम्बेसडर रह चुके अनिल त्रिगुणायत का कहना है कि प्रधानमंत्री का यह दौरा सभी लहजे से बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह दौरा दूसरे देशों से रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. साथ ही साथ इस समिट में द्विपक्षीय मुलालतों में बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा होगी.
किन मुद्दों पर होगा मंथन?
त्रिगुणायत कहते हैं कि इस समिट में टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट चेंज, विकास और वैक्सीन जैसे मुद्दों पर चर्चाएं होंगी. इस पूरी चर्चा में सबसे पहले पुराने कोर्ट समिट पर कितनी प्रगति हुई, इस बात पर भी चर्चा की जाएगी. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी साझेदारी और दूसरे देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने की योजनाओं पर चर्चा की जाएगी. इसके अलावा कोट समिट में जलवायु परिवर्तन और बढ़ते इंधन की चुनौती से कैसे लड़ना जैसे मुद्दों पर भी मंथन होगा.
क्वॉड देशों के बीच तकनीक को लेकर किस तरह से विकास और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है यह भी चर्चा का विषय होगा. इस चर्चा में बायोटेक्नोलॉजी से लेकर साइबरसिक्योरिटी तक जैसे विषय शामिल होंगे. साथ ही इस बात पर भी जोर दिया जाएगा कि क्वॉड देशों को हाईटेक किस तरह से बनाया जा सकता है.
पिछले 2 सालों में पूरा विश्व कोरोना महामारी के संकट से गुजरा है. ऐसे में कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में साझेदारी भी एक महत्वपूर्ण विषय होगा. इसमें कोरोना वैक्सीन से लेकर आर्थिक संकटों से किस तरह उभरा जाए इस पर भी बातचीत होगी.
रूस-यूक्रेन युद्ध का बातचीत पर असर?
त्रिगुनायत कहते हैं कि देखा जाए तो यह क्वॉड समिट उस वक्त हो रहा है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति से पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि अमेरिका ने पहले भी भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की थी, लेकिन भारत अपने निर्णय पर तटस्थ रहा. इस मुद्दे पर अमेरिका ने शुरू से ही खुल कर विरोध जताया है लेकिन भारत ने हमेशा ही इस बात पर जोर दिया है कि मसले का हल शांतिपूर्ण तरीके से किया जाए. भारत के रुख में कोई बड़े बदलाव के संकेत इस वक्त नजर नहीं आ रहे हैं.
बता दें कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की पहली मुलाकात होगी. हालांकि कहा यह जा रहा है कि इस मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग और रिश्तो को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में चुनाव हुए जिसमें स्कॉट मॉरिसन हार गए हैं. ऐसे में लेबर पार्टी सत्ता में आएगी और उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री से मुलाकात करना बेहद अहम माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से व्यापार और निवेश के अलावा स्वच्छ ऊर्जा और पूर्वोत्तर में सहयोग सहित द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को गहरा करने पर चर्चा रखेंगे.