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रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ग्रीन हाइड्रोजन के लिए नार्वे की कंपनी से की डील

नई दिल्ली : मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर के मैन्युफैक्चरिंग के लिए टेक्नोलॉजी लेने को लेकर नॉर्वे की नेल AS के साथ समझौता किया है। नॉर्वे की कंपनी ने बयान में कहा कि नेल हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर AS के साथ समझौता रिलायंस को भारत में नेल के अल्कलाइन इलेक्ट्रोलाइजर के लिए एक स्पेशल लाइसेंस प्रोवाइड करता है। साथ ही रिलायंस को वैश्विक स्तर पर निजी उद्देश्यों के लिए नेल के अल्कलाइन इलेक्ट्रोलाइजर के विनिर्माण की भी अनुमति देता है।

आपको बता दें कि इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए किया जाता है। नेल हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर की बात करें तो नेल एएसए की सब्सिडयरी कंपनी है। अंबानी ने 2022 में उत्पादन संयंत्रों, सौर पैनलों और इलेक्ट्रोलाइजर सहित रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े इंफ्रा स्ट्रक्चर में 75 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की थी। ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रोलाइजर में स्वच्छ बिजली का उपयोग करके पानी को विभाजित करके बनाया जाता है। इसे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्यों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत को अपनी ग्रीन एनर्जी क्रांति के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति के लिए रिलायंस हरित ऊर्जा कारोबार का निर्माण कर रही है। रिलायंस ने 2035 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन वाली कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है।

रिलायंस ने स्वच्छ ईंधन स्रोतों से 100 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) रिन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन करने की योजना बनाई है। यह दशक के अंत तक देश के ग्रीन एनर्जी उत्पादन क्षमता के लक्ष्य का पांचवां हिस्सा है। भारत सरकार ने 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 280 गीगावाट के साथ सौर ऊर्जा की सबसे बड़ी हिस्सेदारी होने की उम्मीद है। नेल के सीईओ हाकोन वोल्डल के मुताबिक रिलायंस रिन्यूएबल हाइड्रोजन के वैश्विक उत्पादक के रूप में एक प्रभावशाली कंपनी है और मुझे गर्व है कि उन्होंने नेल को चुना है।

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