उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी से प्रतिपक्ष की मान्यता भी छिनी
लखनऊ : यूपी विधान परिषद में अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को झटका लगा है. विधान परिषद में सपा की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म हो गई है. 100 सदस्यों वाली विधान परिषद में 10 फीसदी से अधिक सदस्य रहने पर नेता प्रतिपक्ष पद होता है. लेकिन अब समाजवादी पार्टी के 9 सदस्य रह गए हैं.
उत्तर प्रदेश में 6 जुलाई को विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया. इनमें से छह समाजवादी पार्टी के थे. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के तीन, भारतीय जनता पार्टी के दो और कांग्रेस के एक सदस्य का भी कार्यकाल खत्म हो गया. इन 12 सीटों पर चुनाव भी हो चुके हैं. बीजेपी के दोनों सदस्य दोबारा से चुन लिए गए हैं, जिनमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और भूपेंद्र सिंह चौधरी जबकि बाकी किसी भी सदस्य की वापसी विधान परिषद में नहीं हो पाई है.
बता दें कि समाजवादी पार्टी के नेता लाल बिहारी यादव के पास नेता प्रतिपक्ष का पद था. अब उनकी मान्यता खत्म कर दी गई है. फिलहाल, विधान परिषद में भाजपा के 73 सदस्य हैं जबकि सपा के 9, बसपा के मात्र 1 सदस्य हैं.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सियासी आधार सिमटता जा रहा है. 2022 विधानसभा चुनाव में अब तक की सबसे करारी मात खाने के बाद कांग्रेस का विधान परिषद में पहली बार एक भी सदस्य नहीं है. यूपी के उच्च सदन कांग्रेस के एकमात्र सदस्य दीपक सिंह भी बुधवार को रिटायर हो गए. यूपी कोटे से राज्यसभा में कांग्रेस ही पहले ही मुक्त हो चुकी है. इस तरह यूपी से न तो संसद के उच्च सदन में और न ही विधान परिषद में कांग्रेस का कोई सदस्य है.
विधान परिषद में सपा के 9 सदस्यों में पांच सदस्य पुराने हैं जबकि चार सदस्य नए जीतकर आए हैं. इनमें नरेश चन्द्र उत्तम, राजेन्द्र चौधरी, आशुतोष सिन्हा, डा. मान सिंह यादव व लाल बिहारी यादव के अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य, शाहनवाज खान, मो. जासमीर अंसारी व मुकुल यादव शामिल हैं.