वैज्ञानिकों ने दिए संकेत, कभी हिमालय में भी आ सकता है खतरनाक भूकंप
नई दिल्ली : नेपाल सहित भारत (India) के कुछ हिस्सों में बुधवार तड़के 6.6 तीव्रता के भूकंप के झटकों (earthquake tremors) से दहशत फैल गई। जिसके बाद वैज्ञानिकों (scientists) ने दावा किया है कि कभी हिमालयी क्षेत्र (Himalayan region) में भी बड़ा भूकंप आ सकता है।
आपको बता दें कि बुधवार को पश्चिमी नेपाल के सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में आए 6.6 तीव्रता के तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई। भूकंप के झटके भारत की राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में महसूस किए गए।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने कहा कि नेपाल में सुबह 1.57 बजे रिक्टर पैमाने पर 6.3 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके नेपाल की सीमा से लगे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से 90 किमी दक्षिण पूर्व में आए। इससे पहले मंगलवार शाम को क्षेत्र में 4.9 तीव्रता और 3.5 तीव्रता के दो भूकंप आए थे।
बता दें कि नेपाल हिमालय की गोद में बसा है। यहां आए दिन अक्सर भूकंप के झटके महसूस होते रहे हैं। अप्रैल 2015 आए विनाशकारी भूकंप ने नेपाल को हिलाकर रख दिया था। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि उस भूकंप में 8,964 लोग मारे गए थे और 21,952 लोग घायल हुए थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में ऐसे ही विनाशकारी भूकंप की पूरी संभावना बनी हुई है।
हिमालय क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आने की प्रबल संभावना के बावजूद इसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता और इसके मद्देनजर वैज्ञानिकों ने इससे डरने की बजाय उसका सामना करने के लिए पुख्ता तैयारियों पर जोर दिया है। यहां वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान में वरिष्ठ भू-भौतिक विज्ञानी डॉक्टर अजय पॉल ने बताया कि इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर से हिमालय अस्तित्व में आया है और यूरेशियन प्लेट के लगातार इंडियन प्लेट पर दवाब डालने के कारण इसके नीचे इकट्ठा हो रही विकृति उर्जा समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर आती रहती है।
उनका कहना है कि हिमालय के नीचे विकृति उर्जा के इकट्ठा होते रहने के कारण भूकंप का आना एक सामान्य और निंरतर प्रक्रिया है। पूरा हिमालय क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है और यहां एक बड़ा बहुत बड़ा भूकंप आने की प्रबल संभावना हमेशा बनी हुई है।’ उन्होंने कहा कि यह बड़ा भूकंप रिक्टर पैमाने पर सात या उससे अधिक तीव्रता के होने की संभावना है।
डा पॉल का कहना है कि विकृति उर्जा के बाहर निकलने या भूकंप आने का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘यह कोई नहीं जानता कि कब ऐसा होगा। यह अगले क्षण भी हो सकता है, एक महीने बाद भी हो सकता है या सौ साल बाद भी हो सकता है।’ हिमालय क्षेत्र में पिछले 150 सालों में चार बड़े भूकंप दर्ज किए गए जिनमें 1897 में शिलांग, 1905 में कांगडा, 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम का भूकंप शामिल है, हांलांकि, उन्होंने साफ कहा कि इन जानकारियों से भी भूकंप की आवृत्ति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली के बाद 2015 में नेपाल में भूकंप आया। उन्होंने कहा कि भूकंप से घबराने की बजाय इससे निपटने के लिए केवल अपनी तैयारियां पुख्ता रखनी होंगी जिससे भूकंप से होने वाले जान-माल के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि इसके लिए निर्माण कार्य को भूकंप-रोधी बनाया जाए, भूकंप आने से पहले, भूकंप के समय और भूकंप के बाद की तैयारियों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए तथा साल में कम से कम एक बार मॉक ड्रिल आयोजित की जाए । उन्होंने कहा, ‘अगर इन बातों का पालन किया जाए तो नुकसान को 99.99 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।’