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इजरायल को 2 दिन में दूसरा झटका, अब फिलिस्तीन में दूतावास खोलेगा यह देश

रामल्लाह तेल अवीव : गाजा में हमास से जंग लड़ रहे इजरायल को कूटनीतिक मोर्चे पर दो दिन के अंदर दूसरा बड़ा झटका लगा है। कोलंबिया ने फिलिस्तीन के शहर रामल्लाह में अपना दूतावास खोलने का फैसला लिया है। कोलंबिया के राष्ट्रपति पहले ही गाजा में इजरायल के ऐक्शन को नरसंहार बता चुके हैं और बंद करने की अपील भी की थी। कोलंबिया के विदेश मंत्री लुइस मुरिल्लो ने कहा कि राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने आदेश दिया है कि रामल्लाह में दूतावास खोला जाए। उन्होने कहा कि हम वेस्ट बैंक के शहर रामल्लाह में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे। गुस्तावो कई बार इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना कर चुके हैं। उन्हें नेतन्याहू के आलोचकों में गिना जाता है।

कोलंबिया का यह ऐलान तीन देशों के उस फैसले के ठीक बाद आया है, जिसमें फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया गया है। स्पेन, आयरलैंड और नॉर्वे का कहना है कि वे फिलिस्तीन को मान्यता देंगे। नॉर्वे का कहना है कि 28 मई को कैबिनेट की मीटिंग होगी, जिसमें फिलिस्तीन को मान्यता देने का प्रस्ताव पास किया जाएगा। इस तरह इजरायल को गाजा में चल रहे युद्ध के बीच दो दिन के अंदर ही दूसरा झटका लगा है। अब तक दुनिया के कुल 142 देश ऐसे हैं, जो फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।

हालांकि वैश्विक कूटनीति को ताक पर रखते हुए इजरायल लगातार हमले बोल रहा है। अब उसने गाजा के राफा शहर पर अटैक करना शुरू कर दिया है। इसे लेकर अमेरिका ने शुरुआती चिंता जताई थी, लेकिन अब उसका कहना है कि वह इजरायल के प्लान से संतुष्ट है। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि इजरायल ने उनके साथ राफा वाले प्लान को साझा किया है। इजरायल का कहना है कि राफा में आम लोगों को कम से कम नुकसान पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा उनके निकलने की व्यवस्था होगी और वहां रह रहे लोगों के लिए सहायता पहुंचाने में भी मदद की जाएगी।

इजरायल और हमास के बीच पिछले 7 महीने से संघर्ष चल रहा है। इस जंग को रोकने के लिए कई देशों ने कई तरह के समाधान या सुझाव दिए है। इसमें ‘टू स्टेट’ समाधान पर ज्यादा देश सहमति जताते हैं। इस बीच नॉर्वे ,आयरलैंड और स्पेन ने फिलिस्तीन को एक संप्रभु देश के तौर पर मान्यता देने की बात कही है। यह एक तरफ फिलिस्तीन के लिए बड़ी कूटनीतिक बढ़त है तो वहीं इजरायल को इससे करारा झटका लगा है। ऐसा पहली बार है, जब यूरोपीय देश भी इजरायल की बजाय फिलिस्तीन के साथ जाते दिख रहे हैं।

अभी 193 देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य है जिसमें से 139 देश फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता देते हैं। इन देशों की सूची में मध्य पूर्व ,अफ्रीका और एशिया के कई देश आते हैं लेकिन अमेरिका ,कनाडा ,जापान,साउथ कोरिया, आस्ट्रेलिया और ज्यादातर पश्चिम यूरोप के देश फिलिस्तीन को राज्य नहीं मानते। अप्रैल में, अमेरिका ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य राज्य बनने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना वीटो का इस्तेमाल किया। नई खबर के अनुसार अगर फिलिस्तीन को तीनो देशों से औपचारिक रूप से राज्य की मान्यता मिलती है तो यह संख्या बढ़कर 142 हो जाएगी।

मध्य पूर्व में बसा इजरायल इकलौता ऐसा देश है, जिसकी ज्यादातर आबादी मुस्लिम की बजाय यहूदी और ईसाई है। इसकी सीमा भू मध्य सागर के पूर्व तट से लगती है। इजरायल और फिलिस्तीन में संघर्ष कई दशकों से चल रहा है। यहूदियों और मुस्लिम अरबी लोग इस जमीन पर अपने कब्जे का दावा करते हैं। एक तरफ इजरायल है और तो वहीं गाजा और वेस्ट बैंक के इलाके वाला फिलिस्तीन है। दोनों ही संप्रभुता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इजरायल को संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से 165 सदस्यों ने देश के रूप में मान्यता दी है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान समेत ऐसे कई मुस्लिम देश हैं, जिन्होंने अपने नागरिकों के इजरायल जाने पर पाबंदी लगा रखी है। यदि इन देशों के लोग इजरायल जाते हैं तो उनका पासपोर्ट छीना जा सकता है। पाकिस्तान, तुर्की, ईरान जैसे देश इजरायल के शुरू से ही खिलाफ रहे हैं। बीते कुछ सालों में सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों ने भले ही इजरायल से निकटता रखने की कोशिश की है, लेकिन ये मुस्लिम देश खिलाफ ही रहे हैं। इस तरह इजरायल और फिलिस्तीन का संघर्ष पश्चिम एशिया से बाहर भी मुस्लिम देशों के बीच एक अहम मसला है।

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