शार्दुल ठाकुर इन दिग्गजों की मदद से बने बल्ले के महारथी, इस तरह सुधारी बैटिंग, बयां की पूरी कहानी
इंग्लैंड में जहां भारतम (Indian Cricket Team) के अच्छे से अच्छे बल्लेबाज रनों के लिए संघर्ष कर रहे थे तब भारत के एक तेज गेंदबाज ने मौका मिलते ही खूब रन जमाए. इस गेंदबाज का नाम है शार्दुल ठाकुर (Shardul Thakur). ठाकुर को पहले टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला था लेकिन फिर वह दूसरे और तीसरे टेस्ट मैच से बाहर हो गए थे. ओवल में खेले गए चौथे टेस्ट मैच में ठाकुर फिर टीम में आए और टीम की जीत में अहम रोल निभाया. यह रोल उन्होंने गेंद से नहीं बल्ले से निभाया. उन्होंने इस मैच की दोनों पारियों में अर्धशतक जमाए. उन्होंने पहली पारी में 57 और दूसरी पारी में 60 रन बनाए. सीरीज का पांचवां टेस्ट हो नहीं सका, अगर होता तो शायद ठाकुर के बल्ले से कुछ और रन देखने को मिलते. ठाकुर मुख्यतः एक गेंदबाज हैं, लेकिन बल्ले से कैसे कमाल कर गए ? वो भी एक बार नहीं दो-दो बार. इस पर अब ठाकुर ने अपनी कहानी बयां की है.
ठाकुर ने बताया है कि उन्होंने अपनी बल्लेबाजी में कैसे सुधार किया और किन लोगों ने उनकी इसमें मदद की. ठाकुर ने कहा, “दो साल पहले जब मुझे टखने में चोट लगी थी, तब मैंने फैसला किया था कि मुझे अपनी बल्लेबाजी को गंभीरता से लेना होगा. मुझमें वो काबिलियत थी और आगे जाकर मैं निचले क्रम में अपना योगदान देना चाहता था. मैंने अपने आप से कहा कि कुछ भी हो जाए बैटिंग में अच्छा करना ही पड़ेगा. पहले भी मेरे सामने बल्ले से अच्छा करने के मौके आए थे लेकिन मैं उन्हें भुना नहीं पाया. मैंने अपने आप से कहा ऐसा नहीं चलेगा.”
ठाकुर ने कहा, “जब मैंने भारतीय टीम में वापसी की तो मैंने टीम के थ्रो डाउन स्पेशलिस्ट रघु और नुवान के साथ अभ्यास किया. वह काफी तेज फेंकते हैं. शुरुआत में मैं उन्हें खेल नहीं पाता था. मैंने अपना फुटवर्क सुधारने की कोशिश की और धीरे-धीरे मेरी बल्लेबाजी में सुधार होने लगा. मैंने जितना उन्हें खेला उतना मैं तेज गेंदों को अच्छे से खेलने लगा. मैंने जो भी रन बनाए हैं उसके पीछे एक प्रक्रिया है जिसका मैंने पालन किया है, ये तुक्का नहीं है और न ही किस्मत.”
यह पूछे जाने पर कि क्या रघु और नुवान ने उन्हें कोई सलाह दी? तो ठाकुर ने कहा, “नहीं, वह आपको आमतौर पर काफी तेज फेंकते हैं. कई बार 150 किलोमीटर प्रति घंट की रफ्तार से फेंकते हैं. मैंने जब उन्हें खेलने की शुरुआत की तो उन्होंने नॉर्मल स्पीड से शुरू किया और मैं जितना उन्हें खेलता गया तो उन्होंने अपनी स्पीड बड़ा दी. मैं उस तेजी का आदि होता चला गया.”
ठाकुर ने कहा कि कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा ने भी उनकी इसमें मदद की. उन्होंने कहा, “विराट कोहली, रोहित शर्मा ने मुझे प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि जब भी मैं बल्लेबाजी करूं तो मुझे एक बल्लेबाज की तरह सोचना चाहिए. एक हार मैं माही भाई (महेंद्र सिंह धोनी) के कमरें में था और उनका बल्ला पकड़े हुए था. उन्होंने मुझसे कहा था कि मेरी ग्रीप ऊंची है. उन्होंने मुझे बल्ला नीचे पकड़ने को कहा ताकि मैं शॉट्स पर ज्यादा अच्छे से नियंत्रण हासिल कर सकूं. अब मैं नीचे बल्ला पकड़ता हूं और इससे मुझे मदद मिली.”