ऊर्जा संकट की चुनौतियों का आंकलन करते हुए भारत मालदीव अब अक्षय ऊर्जा जिसे हम नवीकरणीय ऊर्जा भी कहते हैं , के क्षेत्र में सहयोग की राह पर आगे बढ़ चले हैं । 26 अप्रैल को इस मामले में भारत के केंद्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने मालदीव गणराज्य की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी मंत्री सुश्री अमीनाथ शौना से मुलाकात की।
इस बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने दो समझौता ज्ञापनों का प्रस्ताव रखा।
पहला : ऊर्जा सहयोग को मजबूती देना ताकि दोनों देश ऊर्जा आत्मनिर्भर बन सकने में अपनी क्षमता बढ़ा सकें। गौरतलब है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत की आजादी के 100वें वर्ष यानी 2047 तक भारत को ” ऊर्जा आत्मनिर्भर राष्ट्र” बनाने का संकल्प व्यक्त किया है।
दूसरा : दोनों देशों के बीच दूसरा समझौता ज्ञापन वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी) के तहत ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन पर किया गया। मालदीव के विद्युत प्रेषण कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से भारत तथा मालदीव ने वन सन, वन वर्ल्ड और वन ग्रिड पहल के हिस्से के रूप में अक्षय ऊर्जा हस्तांतरण के लिए ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है। भारत मालदीव की राजधानी माले में अंडरसी केबल रूट सर्वे भी करेगा।
क्या है वन सन , वन वर्ल्ड , वन ग्रिड :
भारत ने वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड की संकल्पना को मजबूती देते हुए एक ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड के निर्माण का प्रस्ताव किया है उसके तहत भारत के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पश्चिम एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया के 140 से अधिक देशों के मध्य सौर ऊर्जा संसाधनों के साझा करने के मुद्दे पर वैश्विक सर्वसम्मति बनाने की योजना निर्मित की है । इस परियोजना के अगले चरण में इस ग्रिड को अफ्रीकी ऊर्जा केंद्रों से भी जोड़ने पर विचार किया गया है । इस परियोजना का मुख्य विचार यह है कि दुनिया भर में सौर ऊर्जा केंद्रित एक कॉमन ट्रांसमिशन सिस्टम का विकास किया जाय। भारत सरकार ने इस विषय पर सलाहकारी फर्मों के प्रस्तावों को हाल ही में आमंत्रित किया है ताकि एक दीर्घकालिक वैश्विक इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड का रोडमैप समावेशी तरीके से तैयार किया जा सके ।
ऐसे सीमापारीय ऊर्जा परियोजनाओं को दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों , मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों के साथ मिलकर शुरू कर भारत वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने की मंशा रखता है। विश्लेषक यह भी मानते हैं कि वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड का विचार भारत ने चीन के वन बेल्ट वन रोड पहल के तर्ज पर कर चीन को इस महामारी के दौर में अपनी वैश्विक भूमिका की पहचान कराने के लिए की है ।
भारत ने इसके अलावा एक वर्ल्ड सोलर बैंक के गठन का प्रस्ताव भी किया है जिससे अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के मिशन को पूरा करने के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी की लागत में कमी लाई जा सके । यह बैंक कुल 10 बिलियन डॉलर का हो सकता है जिसकी चुकता पूंजी 2 बिलियन डॉलर हो सकती है । इस प्रस्तावित सोलर बैंक में भारत की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक हो सकती है ।
गौरतलब है कि भारत की मंशा है कि ऐसे बैंक का मुख्यालय भारत में ही स्थित हो , जिससे इस दिशा में उसे एक प्रभावी बढ़त मिल सके । चीन में ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक के साथ ही एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक का मुख्यालय है । इन बैंकों के काम काज पर चीन ने निगाह लगाए रखी है जिसका उसे फायदा भी मिला है । यदि वर्ल्ड सोलर बैंक का मुख्यालय भारत में स्थापित करने में सफलता पाई जाती है तो भारत नवीकरणीय ऊर्जा के वित्तीय न में नए मानक स्थापित कर सकेगा और वो भी स्वतंत्र तरीके से ।
( लेखक अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं )