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अर्णब को स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते टली

अर्णब को स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते टली
अर्णब को स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते टली

सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार हनन मामले में पत्रकार अर्णब गोस्वामी को महाराष्ट्र विधानसभा के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। आज विधानसभा सचिव ने कहा कि अर्णब को लिखी चिट्ठी स्पीकर के आदेश पर लिखी गई थी। विधानसभा सचिव ने कहा कि समिति की बैठक का ब्यौरा कोर्ट में देने से मना करना कोर्ट की अवमानना नहीं है।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें विधानसभा सचिवालय का जवाब कल ही मिला है। इसे हममें से किसी ने नहीं पढ़ा है। तब अर्णब गोस्वामी की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वे कह रहे हैं कि उन्होंने विधानसभा स्पीकर के आदेश पर कारण बताओ नोटिस जारी किया। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि इसका मतलब ये है कि उन्होंने पत्र वापस नहीं लिया है।

उसके बाद विधानसभा सचिव की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हमने पत्र वापस नहीं लिया है, क्योंकि हम इस पर बहस चाहते हैं। इसमें कोई अवमानना नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के चार ऐसे फैसले हैं, जो कहते हैं कि ये अवमानना नहीं है। उसके बाद चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए टालते हुए सभी पक्षों को अपनी दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दवे से पूछा कि क्या आपका मुवक्किल यानी विधानसभा के सचिव मौजूद हैं। तब दवे ने कहा कि हां वे मेरे ही दफ्तर में बैठे हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि आपका बयान ही काफी है। तब दवे ने कहा कि सुनवाई की अगली तिथि को विधानसभा के सचिव को सुनवाई के दौरान मौजूद रहने से छूट दी जाए, तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इसकी अनुमति नहीं देंगे।

तब दवे ने कहा कि कोरोना की वजह से मुंबई से दिल्ली फ्लाइट से आने के लिए कई औपचारिकताएं पूरी करनी होती है, आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना होता है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर ऐसा है तो हम विधानसभा सचिव को पेशी से छूट की अनुमति देते हैं।

पिछले 6 नवम्बर को कोर्ट ने विधानसभा सचिव की ओर से भेजी गई चिट्ठी की भाषा पर एतराज जताते हुए विधानसभा सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले पर अगले आदेश तक अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि एक अधिकारी की ऐसी हिम्मत कैसे हुई कि सुप्रीम कोर्ट आने पर किसी को धमकाए। सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा था कि उन्होंने एक कारण बताओ नोटिस भेजा है कि उनके नोटिस को कोर्ट में क्यों दिखाया।

तब कोर्ट ने कहा था कि एक अधिकारी की ऐसी हिम्मत कैसे हुई। तब साल्वे ने कहा था कि अर्णब को अंतरिम राहत दी जाए। उनके खिलाफ एक केस के बाद दूसरा और उसके बाद तीसरा केस दर्ज हो रहे हैं। इन पर संवैधानिक कोर्ट को देखना चाहिए।

पिछले 12 अक्टूबर को हरीश साल्वे ने कहा था कि कोर्ट का नोटिस विधानसभा को तामील नहीं किया जा सका है। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसके बाद गोस्वामी को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है।

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