माओवादी लिंक के मामले में केरल के छात्र थाहा फजल को जमानत दे दी है, वहीं एलन शुएब को भी NIA की याचिका से राहत दी है. कथित माओवादी संबंधों को लेकर दर्ज किए गए UAPA के मामले में केरल के युवक थाहा फजल और एलन शुएब ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. NIA इस मामले की जांच कर रही है. जस्टिस अजय रस्तोगी और एएस ओका की बेंच ने 23 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
थाहा फजल ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, वहीं NIA ने भी मामले में सह आरोपी रहे एलन शुएब को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. NIA की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले में पहली बार नवंबर 2019 में केरल पुलिस ने मामला दर्ज किया था. आरोपी एलन शुएब और फजल को माओवादी संगठनों से संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और NIA ने मामले को अपने हाथ में लेकर जांच शुरू कर दी थी. पत्रकारिता के छात्र फजल ने केरल हाईकोर्ट द्वारा जमानत रद्द करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
थाहा फजल और शुएब (कानून के छात्र) को माओवादियों के साथ कथित संबंध को लेकर NIA ने 2 नवंबर, 2019 को यूएपीए के तहत कोझिकोड से गिरफ्तार किया था. दोनों छात्र कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के ब्रांच कमिटी के सदस्य भी हैं. फजल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील वी गिरी ने कहा था कि वह नवंबर 2019 से कस्टडी में है और पिछले साल सितंबर में उसे जमानत मिली थी. हालांकि केरल हाई कोर्ट ने बाद में फजल की जमानत रद्द कर दी थी और उसे इस साल जनवरी में सरेंडर करने पर मजबूर होना पड़ा.
केरल हाईकोर्ट ने एक कोच्चि की विशेष एनआईए अदालत के आदेश को आंशिक रूप से दरकिनार करते हुए फजल की जमानत रद्द कर दी थी. डिविजन बेंच ने दूसरे आरोपी शुएब के स्वास्थ्य और कम उम्र को देखते हुए जमानत रद्द नहीं की थी. एनआईए की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एडिशन सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि शुएब को स्वास्थ्य आधार पर जमानत दी गई थी. उन्होंने कहा कि फजल की जमानत रद्द करने का केरल हाई कोर्ट का फैसला सही था.