नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया जिसमें गुजरात कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना (IPS Officer Rakesh Asthana) को दिल्ली पुलिस कमिश्नर नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा गया था। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की बेंच ने केंद्र सरकार और राकेश अस्थाना को नोटिस जारी किया और एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका पर उनसे दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
एनजीओ ने 31 जुलाई को अपनी रिटायरमेंट से चार दिन पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ एक रिट याचिका और अपील दायर की है। एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 18 नवंबर के निर्देश के अनुसार अपील दायर की है। इस दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अस्थाना का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को एनजीओ से दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने को कहा था।
12 अक्टूबर को, दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि उनके चयन में कोई अनियमितता या कमी नहीं थी। बता दें कि, 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना, जो सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे, उन्हें एक साल के कार्यकाल के लिए गुजरात कैडर से केंद्र शासित प्रदेश कैडर में स्थानांतरित किए जाने के बाद 27 जुलाई को दिल्ली पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था।