अन्तर्राष्ट्रीय

यूनिवर्सिटी एंट्रेन्स एग्जाम में छात्राओं के भाग लेने पर तालिबान ने लगाया बैन :

ऐसा लग रहा है कि अब अफगानिस्तान में तालिबान सरकार महिलाओं के अधिकारों को एक-एक कर कुचलने के लिए आमादा है।अफगानिस्तान में यूनिवर्सिटी एंट्रेन्स एग्जाम में छात्राओं के भाग लेने पर तालिबान द्वारा बैन लगाने की ख़बर सामने आई है।

तालिबान ने एक बार फिर से अपना तुगलकी फरमान जारी करते हुए अफगानिस्तान में यूनिवर्सिटी एंट्रेन्स एग्जाम में छात्राओं के भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये एग्जाम अगले महीने से शुरू होने वाले हैं। तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों को अपनी यह डिक्री नोटिस के रूप में भेज दिया है।
इस नोटिस में साफ तौर पर यह कहा गया है कि लड़कियां एंट्रेस एग्जाम के लिए अप्लाई नही कर सकतीं और ये डिक्री तब तक जारी रहेगी जब तक कि तालिबान अगला कोई नोटिस जारी करके इसके बारे में नहीं बताता। इस फैसले का उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

आपको बता दें कि पिछले साल 20 दिसंबर को तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों में लड़कियों की शिक्षा को निलंबित कर दिया था। उस प्रतिबंध के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, जापान, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्पेन, स्विट्जरलैंड और यूरोपीय संघ के देशों ने तालिबान को ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी थी।

तालिबान ने 1402 ( सोलर ईयर) यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम के संबंध में फीमेल स्टूडेंट्स के लिए ये जो फैसला लिया है वो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करता है । संयुक्त राष्ट्र और यहां तक कि 57 मुस्लिम देशों वाले इस्लामिक सहयोग संगठन ने तालिबान की महिला शिक्षा विरोधी नीतियों का विरोध किया है। तालिबान की पितृसत्तात्मक सोच अफगानिस्तान में जेंडर जस्टिस की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है और इसे दूर करने के लिए वैश्विक स्तर पर तालिबान पर दबाव बनाने के लिए कार्य करना होगा।

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