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तीखी हुई काम के घंटे की बहस, आनंद महिंद्रा ने कहा- क्वाल्टी पर हो चर्चा

दस्तक डेस्क: लार्सन एंड टूब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन द्वारा सप्‍ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह देने के बाद दुनिया भर मे वर्किंग आवर्स यानि काम करने के घंटे को लेकर तमाम सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर एक नयी बहस छिड़ गई है । ज़्यादातर लोगों का मानना है कि ज्यादा वर्क लोड के कारण वह पहले से ही खासा तनाव झेल रहे हैं। उनका मानना है कि वर्क-लाइफ बैलेंस मानो एक शब्‍द ही बनकर रह गया है । हालांकि ज़्यादातर लोगों का मानना है कि इसके पीछे काम के अलावा कई अन्‍य कारण भी जिम्‍मेदार हैं।

आनंद महिंद्रा ने जीता दिल
एक तरफ एसएन सुब्रह्मण्यन द्वारा सप्‍ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह की सभी जगह आलोचना ही हो रही है, तो वहीं महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने वर्किंग आवर्स को लेकर ऐसी बात कह दी कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म मे उनकी प्रशंसा करने वालों की बाढ़ आ गयी, उनका कहना है कि मुझसे मेरी क्वालिटी ऑफ वर्क (काम की गुणवत्ता) पूछी जानी चाहिए। न कि मैं कितने घंटे काम करता हूं। महिंद्रा ने कहा कि बहस Quality Of Work पर होनी चाहिए, Quantity पर नहीं।’

लिस्ट में भूटान शीर्ष स्थान पर
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की माने तो दुनिया में सप्ताह में सबसे ज्यादा घंटे काम कराने वाले देशों की लिस्ट में शीर्ष स्थान पर भूटान के लोग आते हैं। इस देश के लोग सबसे ज्‍यादा सप्‍ताह में 54.4 घंटे काम करते हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर सयुंक्त अरब अमीरात( यू.ए.ई.) है जहां लोग साप्‍ताहिक 50.9 घंटे अपने काम को देते हैं। वहीं तीसरे नंबर पर कांगों का नाम आता है जो 48.6 घंटे प्रति सप्‍ताह और कतर में लोग 48 घंटे प्रति सप्‍ताह काम करते हैं. इसके बाद लिबेरिया, लेबनान, मंगोलिया आदि देशों के लोग आते है ।

इस नंबर पर आता है भारत
वहीं अपने देश भारत की बात करें तो प्रति सप्‍ताह काम करने के घंटों में भारत भी अन्य देशों से पीछे नहीं है । यहां औसतन प्रत्येक भारतीय कर्मचारी द्वारा सप्‍ताह मे 46.7 घंटे अपने ऑफिस के काम मे व्यतीत किए जाते है । जिसमे ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है जो रोजाना अपने ऑफिस में 12 घंटे तक बिताते हैं । भारत इस सूची मे दुनिया के टॉप 15 की लिस्‍ट में शामिल है ।

…तो रोज करना पड़ेगा 15 घंटे काम
एक आकड़ों के मुताबिक यदि एसएन सुब्रह्मण्यन के 90 घंटे काम करने वाले तरीके को अपनाया जाए तो हर व्‍यक्ति को प्रत्येक सप्‍ताह के 6 दिन मे रोजाना 15 घंटे काम करना पड़ेगा और यदि सप्‍ताह में 90 घंटे के हिसाब से 5 दिन काम करना पड़े तो रोजाना 18 घंटे काम करना होगा। यानी कि व्‍यक्ति को 8 घंटे की जरूरी नींद मिलना भी नामुमकिन हो जाएगा।

हफ्ते में 4 दिन काम की पैरवी
वहीं, जापान अप्रैल माह से अपने देश मे सप्ताह मे 4 दिन काम 3 दिन आराम की नीति लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है । टोक्यो गवर्नर युरिको कोइके काफी पहले ही कह चुके हैं कि अगले साल अप्रैल महीने से कर्मचारियों के पास ऑप्शन होगा कि वे सप्ताह में तीन दिन ऑफ ले सकेंगे। उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि लोग अपने बच्चों के पालन-पोषण के चलते अपना करियर बीच में ही छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं ।

जिसकी वजह से जापान मे लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं । जिस वजह से जापान की प्रजनन दर बेहद खराब होती जा रही है तथा इसमे सुधार लाने के लिए स्थानीय प्रशासन कई नए तरीके की योजना पर काम कर रहा है । वहीं दुनिया के धनी और विकसित देशों में काम के घंटे काफी कम हैं । वहीं कई देश इस बात की पैरवी पहले से ही कर रहे है कि हफ्ते में 4 दिन ही काम किया जाए और 3 दिन का साप्‍ताहिक अवकाश दिया जाए।

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