नागपुर. शेगांव स्थित गजानन महाराज मंदिर संस्थान को हाल ही में निर्मित स्काईवॉक का हस्तांतरण किया जाना था. हालांकि इसके निर्माण को तो लंबा समय बीत गया है लेकिन रखरखाव और उपयोग के लिए हस्तांतरण नहीं होने के कारण ज्यों के त्यों पड़ा है. इस संदर्भ में दिए गए आदेशों के अनुसार अब तक क्या किया गया? इसे लेकर परिपूर्ण हलफनामा दायर करने के आदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जीए सानप ने राज्य सरकार और नोडल अधिकारी के रूप में कार्यरत अमरावती के विभागीय आयुक्त को दिए. अदालत मित्र के रूप में फिरदौस मिर्जा, संस्थान की ओर से अधि. एआर पाटिल और सरकार की ओर से अधि. डीपी ठाकरे ने पैरवी की.
समझौते पर लगाएं मुहर
अदालत ने आदेश में कहा कि गत समय स्काईवॉक के हस्तांतरण और उपयोग की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अमरावती के विभागीय आयुक्त, राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को समझौते को अंतिम कर इस पर मुहर लगाने के आदेश दिए गए थे. इस मामले को प्राथमिकता और शीघ्रता से हल करने को कहा गया था. एग्रीमेंट के बाद विभागीय आयुक्त की ओर से इसे संस्थान को हस्तांतरित करना था. किंतु आदेश के अनुसार क्या किया गया, इसका पता नहीं चल रहा है. अत: अगली सुनवाई में इसका खुलासा करने के भी आदेश दिए. सरकारी पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधि. ठाकरे का मानना था कि हाई कोर्ट के आदेशों की सूचना अधिकारियों को दी गई है.
असामाजिक तत्वों से सामान चोरी की आशंका
अदालत मित्र अधि. मिर्जा का मानना था कि स्काईवॉक के हस्तांतरण को पूरी तरह से नजरअंदाज किए जाने के कारण यह खाली पड़ा हुआ है जिससे यहां पर न केवल असामाजिक तत्वों का डेरा रहता है बल्कि सामान चोरी होने की भी आशंका बनी रहती है. अदालत का मानना था कि रखरखाव के अभाव में असुरक्षित स्काईवॉक पर असामाजिक तत्व धड़ल्ले से घूमते हैं. इस तरह से यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी परेशानी का सबब है.
स्काईवॉक का उपयोग नहीं होने के कारण संस्थान जाने वाले मार्ग पर ट्रैफिक जाम जैसी स्थिति बनी रहती है. भविष्य में इन घटनाओं को रोकने के लिए स्काईवॉक का उपयोग होना जरूरी है. संस्थान का मानना था कि केवल स्काईवॉक के हस्तांतरण से समस्या हल नहीं हो सकती है जिस उनाड नाला पर यह तैयार हुआ है, उससे जुड़े आसपास के मार्ग भी संस्थान को हस्तांतरित होना जरूरी है. स्काईवॉक के कारण बाधित परिसर में सौंदर्यीकरण करना भी जरूरी है.