योगी, मोदी और शाह से नहीं है कोई नाराजगी, मेरी कोई सुनता नहीं था, इस बात से थे नाराज: मौर्य
लखनऊ: शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ठीक सात दिन पहले तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लोकभवन में एक ही मंच पर श्रमिकों के खाते में पैसा ट्रांस्फर करते नज़र आ रहे श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा को छोड़ देंगे। उनके करीबियों और पार्टी के विधायकों की मानें तो वह संगठन में तवज्जो न मिलने के कारण नाराज थे। शायद यही वजह रही कि उन्होंने कहा कि सीएम योगी, पीएम मोदी, अमित शाह व जेपी नड्डा आदि से उन्हें कोई नाराजगी नहीं है। मेरी नाराजगी गलत नीतियों के कारण थी।
दूसरी ओर चर्चा है कि बेटे उत्कृष्ट मौर्य समेत समाज के कुछ लोगों के टिकट की चाह को वाजिब राह न मिलने से भी वह भीतर ही भीतर खिन्न थे। वह क्यों नाराज हो गए? उनकी नाराजगी की क्या वजहें थी? इनका खुलासा अब उनके इस्तीफे के बाद धीरे-धीरे होने लगा है। सियासी जानकारों की मानें तो वह संगठन में अहमियत न दिए जाने के कारण तो नाराज थे।
मौर्य बसपा सरकार में मायवती, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा के बाद चौथे नंबर के नेता थे। बसपा में वह सहकारिता मंत्री रहे। माना जाता है कि वह श्रम विभाग जैसा महत्वहीन विभाग दिए जाने से खिन्न थे। उन्होंने इस बारे में पार्टी स्तर पर कई बार अपना विरोध भी जताया। हाल में गठित भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया जबकि भाजपा में आए उनसे कई जूनियर नेता इस समिति में शामिल किए गए।