तृणमूल कांग्रेस के विधायक को अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में जान से मारने की धमकी
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार को गुरुवार को एक और बड़ी शर्मिदगी का सामना करना पड़ा, जब पार्टी के एक मौजूदा वरिष्ठ विधायक और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली कैबिनेट के एक पूर्व सदस्य ने लगातार जान को खतरा बताते हुए उच्च स्तर की सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की। उन्हें अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में धमकी मिल रही है। दक्षिण 24 परगना जिले के बसंती विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ विधायक श्यामल मंडल ने अपनी उच्च सुरक्षा के लिए जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में एक लिखित आवेदन दिया है।
मंडल ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है, क्योंकि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को लेकर मुखर थे। मंडल सुंदरबन मामलों और सिंचाई व जलमार्ग मंत्री रह चुके हैं।
मंडल ने गुरुवार को कहा, “मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जब भी अवैध गतिविधियां देखी हैं, मैंने विरोध किया है। मैंने हाल ही में स्थानीय पुलिस से इलाके में जबरन वसूली करने वालों के एक समूह के खिलाफ शिकायत की थी। वे लोग अन्य अवैध गतिविधियों में भी शामिल हैं। शिकायत करने के बाद से मुझे जान से मारने की धमकी मिल रही है। निर्वाचित विधायक होने के नाते मुझे अपने निर्वाचन क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर घूमना पड़ता है। लेकिन इन धमकियों के बाद मैं खुद को असहाय महसूस कर रहा हूं और इसलिए मैंने उच्च सुरक्षा कवर के लिए पुलिस से संपर्क किया।”
उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में बसंती विधानसभा क्षेत्र के तहत फुलमलंचा ग्राम पंचायत में हुए विस्फोट के बाद जहां एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, वहां उन्होंने एक जनसभा की और सभी संबंधित अधिकारियों से अवैध आग्नेयास्त्र और विस्फोटक जब्त करने का अनुरोध किया। लेकिन इस मामले में आज तक एक भी आत्मसमर्पण नहीं हुआ है।
इस बीच, इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस भी शुरू हो गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि जब एक सत्ताधारी दल के विधायक, जो राज्य के पूर्व मंत्री भी हैं, खुद को असहाय महसूस करते हैं, तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति कितनी दयनीय है। तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि भाजपा नेताओं को इस तरह के मुद्दों पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि भाजपा शासित राज्यों में उनके अपने नेता हमेशा बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों के साथ चलते हैं।