6 साल में सैंकड़ों को घर बनवाकर दे चुकी हैं दो टीचर्स, जानिए कैसे हुई इनके मिशन की शुरुआत
कोच्चि. भारत सरकार देश में लोगों के घर के सपने को सच करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना PMAY) चला रही है। इस योजना का फायदा लाखों लोग ले चुके हैं। आज हम आपको जानकारी देंगे दो ऐसी टीचर्स के बारे में, जिन्होंने 150 बेघर लोगों को घर बनवा कर दिया। हम बात कर रहे हैं केरल के एक स्कूल की दो टीचर्स सिस्टर लिस्सी चक्कलक्कल स्कूल की प्रिंसिपल) और लिली पॉल की। ये दोनों अपने प्रयासों से पिछले 6 सालों में 150 लोगों को घर बनवाकर दे चुकी हैं।
दरअसल 6 साल पहले टीचर सिस्टर लिस्सी चक्कलक्कल को पता चला ही उनकी स्कूल में पढ़ने वाला 8वीं क्लास का एक छात्रा होमलेस Homeless) है। इस स्टूडेंट के पिता की मौत हो चुकी थी, वो एक राजमिस्त्री थे। इस आठवीं क्लास के बच्चे के पास कोई परिवार नहीं था। इसके बाद सिस्टर लिस्सी चक्कलक्कल और लिली पॉल ने मिलकर बच्चे के परिवार के लिए एक घर बनाने का जिम्मा उठाया। उन्होंने स्कूल के शिक्षकों, छात्रों, पड़ोसियों और अन्य लोगों से धन जुटाया। लड़की के परिवार के पास अब 600 वर्ग फुट में अपना एक घर है।
इसके बाद दोनों टीचर्स को स्कूल के कई स्टूडेंट्स की दयनीय स्थिति के बारे में जानकारी हुई। घर था। जिसके बाद एक घर से शुरू हुआ ये समाज सेवा का काम एक मिशन बन गया। दोनों टीचर्स ने एक पहल के तहत विभिन्न हितधारकों, शुभचिंतकों और स्थानीय लोगों से मिलकर धन जुटाने के लिए मुलाकातें की। कई संस्थानों और व्यवसायिक फर्म ने इस नेक काम में दोनों का समर्थन किया। यहां तक कि निर्माण में लगे श्रमिकों ने भी अपनी ओर से घर बनाने में योगदान दिया। जल्द ही, दोनों शिक्षिकाओं ने वर्ष 2014 में आयोजित स्कूल के प्लेटिनम जुबली समारोह के दौरान हाउस चैलेंजिंग प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने छह साल की अवधि में बेघरों के लिए 150 घर बनाए हैं।
इनके द्वारा बनाए गए घरों की कीमत आमतौर पर 6 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये के बीच होती है। मकानों को टाइलिंग के बाद सौंप दिया जाता है और एक अच्छा डिजाइन सुनिश्चित किया जाता है। इस पहल से स्कूल के करीब 80 गरीब छात्रों को मदद मिली है, अब उनके परिवार के पास अपना खुद का घर है। इस नेक काम में दोनों टीचर्स के द्वारा महिलाओं, बच्चों, विधवाओं और बीमार सदस्यों वाले बेघर परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है। दोनों की तरफ से सरकार से समर्थन के बावजूद पैसे की व्यवस्था करने में मुश्किल होने वाले लोगों को भी मदद की पेशकश की जाती है।
सिस्टर लिस्सी चक्कलक्कल ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बताया, “हमने अपने स्वयं के छात्रों के लिए आश्रय प्रदान करने के लिए हमारी हाउस चैलेंज परियोजना शुरू की, जो बुनियादी सुविधाओं के बिना रह रहे थे। हमारा सपना हमारे समाज को ‘बेघर मुक्त’ बनाना है। हमने अब तक 150 घरों का निर्माण पूरा कर लिया है। इसके अलावा, लोगों ने घर बनाने के लिए जमीन दान करना भी शुरू कर दिया। शुरू में, हम उन परिवारों के लिए घर बना रहे थे जिनके पास जमीन है। अब, ऐसे लोग हैं जो घरों के निर्माण के लिए जमीन दान कर रहे हैं।”
लिली पॉल ने बताया कि रंजन वर्गीस नाम का एक जमीन दाता ने काफी बड़ा जमीन का टूकड़ा हमें बेघरों के लिए घर बनाने हेतु दान दिया है, जिसपर हमने वायपिन में 12 घरों का निर्माण किया। अगर लोगों में बांटने की संस्कृति बढ़ेगी तो हम बेघर मुक्त समाज बनाने के अपने सपने को साकार कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि एक शिक्षक का काम सिर्फ शिक्षा प्रदान करना या विभिन्न विषयों को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं है। उसका कर्तव्य आसपास के जरूरतमंद लोगों की मदद करना भी है। हमारे विद्यालय में छात्र या शिक्षक भी इस परियोजना में छोटे से अंश का दान करते हैं। इसके अलावा, मजदूर जैसे राजमिस्त्री और अन्य भी मकान बनाने में हमारी मदद करते हैं। यह परियोजना समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों की टीम वर्क है।