देश-विदेश में बढ़ती योगी की साख
अजय कुमार, लखनऊ
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए 2023 काफी महत्वपूर्ण रहा। आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से कई रिकार्ड योगी सरकार के नाम दर्ज हुए। इसी वर्ष 500 साल के विवाद के बाद प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में उनके जन्म स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण भी हुआ। 22 जनवरी को मंदिर में प्रभु की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित तमाम धर्माचार्य, कई राजनैतिक एवं फिल्मी हस्तियों के अलावा उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों को भी आमंत्रित किया गया है। करीब पांच हजार अतिथि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे। बात आर्थिक प्रगति की करें तो वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनामी बनाने के संकल्प के साथ प्रदेश का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने वचन के प्रति संकल्पबद्ध लग रहे हैं। उनकी यही प्रतिबद्धता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। यही वजह है जनवरी 2023 में कराये गये एक सर्वे में उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री घोषित किया गया था। मूड ऑफ दि नेशन सर्वे में सीएम योगी को 39.1 फीसदी लोगों ने बेस्ट परफॉर्मिंग चीफ मिनिस्टर माना। वहीं इस मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल काफी पीछे हैं। पब्लिक ने मात्र 16 प्रतिशत मतों के साथ उन्हें दूसरे स्थान पर रखा है, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को केवल 7.3 प्रतिशत लोगों ने मत दिया है।
राज्य सरकारों के कामकाज को जानने और समझने के लिए इंडिया टुडे और सी वोटर्स ने मूड ऑफ द नेशन सर्वे किया था। इस सर्वे में जनता से देश के अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार के शासन के साथ-साथ बेस्ट परफॉर्मिंग चीफ मिनिस्टर को लेकर सवाल पूछे गए थे।अपराध नियंत्रण के क्षेत्र में भी योगी सरकार ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसी वजह से यूपी में अपराध का ग्राफ काफी नीचे आ गया है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को लेकर योगी सरकार का नजरिया काफी सख्त है। संगठित अपराध की तो योगी सरकार ने कमर ही तोड़ दी है। माफिया या तो एनकांउटर में मार दिये गये या जेल की सलाखों के पीछे डाल दिए गये हैं। अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में भी योगी सरकार का रिकार्ड काफी बेहतर है। कुल मिलाकर योगी सरकार अपराध के प्रति जीरो टालरेंस का रुख अख्तियार किये हुए है, जिसकी वजह से उद्योगपति यहां उद्योग लगाने में भी रुचि ले रहे हैं। जिला स्तर पर ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडेक्ट’ योजना को बढ़ावा दिया गया है।
यूपी जो कभी बिहार की तरह एक बीमारू और गुंडागर्दी के लिए बदनाम राज्य हुआ करता था, अब वह अपने पड़ोसी राज्य बिहार से विकास और अर्थव्यवस्था के मामले में काफी आगे निकल चुका है। आज की तारीख में नकारात्मक दृष्टि से लोग उत्तर प्रदेश को नहीं देखते। पिछले छह-साढ़े छह साल में यूपी की छवि में तेजी से बदलाव आया है। इस बदलाव की शुरुआत 2017 में हुई, जब उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजय मिली और बीजेपी ने काफी मंथन के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। इसके बाद तो मानो यूपी को पंख लग गये हों। जो राज्य अपराध के मामले में नंबर वन हुआ करता था, वहां अपराधी जान की भीख मांगने लगे हैं। कई बड़े अपराधी डर के मारे यूपी से पलायन कर गये। पहले उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ही बड़ा मसला थे। 2022 में ऐसा पहली बार हुआ कि जब कानून व्यवस्था के नाम पर जनता ने योगी सरकार को फिर से यूपी में लाने की ठान ली। पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश में 31 करोड़ लोग धार्मिक पर्यटन में आए। पहली बार प्रदेश के अंदर अब योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के सभी लोगों को मिल रहा है।
गौरतलब हो कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय मोदी को जाता है। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय मोदी और योगी दोनों को दिया गया। अब योगी ख़ुद भी बहुत लोकप्रिय नेता बन गए हैं। उत्तर प्रदेश में 2027 में अगला विधानसभा चुनाव होगा। 2027 को लेकर अभी से कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगा लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि चुनाव जीतने के लिए योगी की मोदी पर निर्भरता में कुछ कमी जरूर देखने को मिली है। योगी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही उन्हें मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। यहां तक कहा जाने लगा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी को भी योगी की जरूरत पड़ेगी। योगी भीड़जुटाऊ नेता बन गए हैं। कहीं भी चुनाव होते हैं तो हर राज्य से योगी की रैली की मांग होती है।
ऐसी ही मांग कभी मोदी को लेकर होती थी, जब वह गुजरात के सीएम थे। यह सच है कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में चेहरा मोदी थे, लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में योगी चेहरा बन गए थे और तभी से डबल इंजन की सरकार की बात होने लगी थी। अपनी सरकार की लोक कल्याणकारी नीतियों, अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की शैली के चलते प्रदेश ही नहीं बल्कि देश और देश की सीमाओं को लांघते हुए वैश्विक पटल पर भी योगी आदित्यनाथ की पहुंच बढ़ती जा रही है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, अमेरिका और इंग्लैंड तक सीएम योगी के नाम की धूम है। सोशल मीडिया पर भी सीएम योगी की गिनती सबसे प्रभावी और लोकप्रिय राजनेता के रूप में है। सीएम योगी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 2.65 करोड़ फॉलोअर्स हैं। वहीं, इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 77 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर भी सक्रिय रहते हैं।
बुलडोजर और अपराधियों के एनकांउटर की बात किये बगैर योगी की पहचान अधूरी है। उत्तर प्रदेश में 2020 में शुरू हुई बुलडोजर राजनीति अब योगी आदित्यनाथ सरकार का मुख्य हथियार बन गई है। बुलडोजर आमतौर पर तोड़फोड़ के उपकरण के रूप में देखा जाता है, लेकिन अब यह न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि राज्य के बाहर भी सुशासन का प्रतीक बन चुका है। देश में ज्यादातर सरकारें, मुख्य रूप से बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारें अब बुलडोजर पर दांव लगा रही हैं। बुलडोजर को पहली बार जुलाई 2020 में योगी आदित्यनाथ सरकार में प्रमुखता मिली, जब कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे के घर को गिराने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। दुबे आठ पुलिसकर्मियों के नरसंहार का मुख्य आरोपी था और उसके घर पर बुलडोजर चलाना आतंकग्रस्त इलाके में त्वरित न्याय जैसा लग रहा था।
इसी तरह से पैगंबर पर नूपुर शर्मा के बयान का विरोध करने वाली मुस्लिम आवाजें, फिर प्रयागराज में बुलडोजर का निशाना बनीं और इस तरह की कार्रवाई को सामाजिक स्वीकृति भी मिली। इसके बाद, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफिया डॉन की अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। राज्य सरकार ने बुलडोजर के दम पर ढहते माफिया के घरों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, होटलों और इमारतों की तस्वीरें और वीडियो खुशी-खुशी जारी किए। 2022 के विधानसभा चुनाव के बीच योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा का नाम दिया गया और यह भाजपा के अभियान को अगले स्तर तक ले गया।
योगी की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके सामने विपक्ष का कोई भी दांव सही नहीं बैठ पा रहा है। मोदी के साथ मिलकर तो योगी की ताकत और भी बढ़ जाती है। 2022 के विधानसभा चुनावों में प्रियंका गांधी वाड्रा के गहन अभियान के बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 403 विधान सभा सीटों में से दो सीटों और 2.3 प्रतिशत वोट के अपने सबसे खराब प्रदर्शन पर गिर गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी हार गए थे। इन चुनावों में कांग्रेस को बस एक सीट पर जीत हासिल हो पाई थी, यह एक मात्र सीट सोनिया गांधी की थी। आज की तारीख यानी 2024 के लोकसभा चुनाव में गैर बीजेपी दलों के इंडिया गठबंधन पर सबसे बड़ा खतरा उत्तर प्रदेश में ही मंडरा रहा है, जहां यह कल्पना करना संभव है कि भाजपा अपनी सीटों में सुधार करेगी। यूपी के लिए भारतीय जनता पार्टी आलाकमान ने काफी पहले ही केन्द्रीय नेताओं की एक टीम बना दी है जिसके कंधों पर 2019 में हारी हुई प्रत्येक लोकसभा सीट को जीतने की जिम्मेदारी दी गई है। 2019 में बीजेपनी गठबंधन ने जिन 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसमें से वह 64 सीटें जीतने में सफल रही थी। तब हारी हुई 16 सीटों को इस बार योगी आदित्यनाथ किसी भी तरह से जीत कर मोदी की झोली में डाल देना चाहते हैं। लोकसभा की 80 में से 80 सीटें जीतने का फार्मूला मोदी-योगी सरकार के विकास कार्यों से निकलेगा। योगी सरकार की कल्याणकारी योजनाएं, महिला सम्मान के प्रति राज्य सरकार प्रतिबद्धता, किसानों के हित में उठाये गये क्रांतिकारी फैसले के साथ-साथ यूपी को अपराध मुक्त बनाने के योगी का संकल्प और अयोध्या में प्रभु रामलला का मंदिर निर्माण बीजेपी की जीत का मार्ग और भी प्रशस्त करेगा।
राजनीतिक जगत में इस बात की भी चर्चा है कि योगी आदित्यनाथ केन्द्र में भी काफी प्रभावशाली हो गये हैं। आज की तारीख में योगी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले की बारीकी बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं को भी समझ में नहीं आ रही है। स्थिति यह है कि आगे चलकर कभी योगी को बदलना या बनाए रखना, दोनों ही स्थितियों में घाटे का सौदा दिख रहा है। दूसरे, पिछले साढ़े छह साल के दौरान बतौर मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ की जिस तरह की छवि उभरकर सामने आई है, उसके सामने उनके कई प्रतिद्वंद्वी काफी पिछड़ चुके हैं। बीजेपी आलाकमान भले ही योगी को सत्ता की चाबी सौंप कर राहत महसूस कर रहा हो, मगर विपक्ष जरूर बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता रहता है। कानून-व्यवस्था के मामले में शुरुआत से लेकर अब तक वो विपक्ष के निशाने पर रहे हैं और योगी होने के बावजूद उनपर जातिवादी सोच के आरोप विपक्ष के कई नेता लगा चुके हैं, बावजूद इसके योगी आदित्यनाथ की छवि बीजेपी के एक फायरब्रांड प्रचारक और हिन्दुत्व के प्रतीक नेता के तौर पर बनी हुई है।
इसी वजह से मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी कुछ खामियों को 2022 के विधानसभा चुनाव में वोटरों ने भी नजरअंदाज कर दिया था। योगी की लोकप्रियता का आलम यह है कि उनकी चर्चा ब्रिटिश संसद में भी होने लगी है। यह शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। ब्रिटेन के एक सांसद ने सीएम योगी को एक पोस्टकार्ड भेजा है, जिस पर उन्होंने यूपी की बदली हुई धारणा के लिए उन्हें बधाई दी है। बता दें कि भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद वीरेंद्र शर्मा ने सीएम योगी को यह पोस्टकार्ड भेजा है। इसी तरह से कुछ माह पूर्व जब फ्रांस की सरकार अपने यहां दंगे नियंत्रित नहीं कर पा रही थी तो वहां से भी यह मांग उठने लगी थी कि योगी को यदि फ्रांस बुला लिया जाये तो दंगा पूरी तरह से नियंत्रित हो जायेगा।
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश, जो कभी अराजकता, भ्रष्टाचार और अकुशल शासन के लिए जाना जाता था, अब योगी सरकार के तहत एक शीर्ष निवेश गंतव्य है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में यूपी 2017 से पहले 14वें स्थान से छलांग लगाकर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। केन्द्र सरकार की 40 से अधिक योजनाओं के कार्यान्वयन में उत्तर प्रदेश वर्तमान में नंबर एक स्थान पर है। आज उत्तर प्रदेश अपनी उपलब्धियों जैसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे, नए हवाई अड्डों, 24 घंटे बिजली और मजबूत कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए जाना जाता है। योगी सरकार हर वर्ग के उत्थान के लिए कोई न कोई योजना चला रही है। इसमें किसान ऋण मोचन योजना, टैण्ड अप इंडिया योजना, बेरोजगारी भत्ता, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, यूपी भूनक्शा ऑनलाइन पोर्टल, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना, पीएम जन धन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री शौचालय योजना, उत्तर प्रदेश श्रमिक भरण पोषण योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, यूपी स्कॉलरशिप योजना आदि शामिल हैं। योगी की जबर्दस्त कार्यशैली के चलते लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी आलाकमान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनसे (योगी से) काफी उम्मीदें लगाये बैठे हैं। 80 में से 72 लोकसभा सीटें जीतने का दावा यदि बीजेपी कर रही है तो इसकी पृष्ठभूमि में मोदी के बाद योगी ही हैं।