उमेश पाल हत्याकांड: नौ राज्यों में दबिश, 4400 नंबरों की निगरानी फिर भी असद पकड़ से दूर
लखनऊ : राजूपाल हत्याकाण्ड के गवाह उमेश पाल की हत्या के मुख्य आरोपित पूर्व सांसद अतीक के बेटे असद, बमबाज गुड्डू मुस्लिम, अतीक की पत्नी शाइस्ता की तलाश में एसटीएफ एक महीने के अंदर नौ राज्यों में छापेमारी कर चुकी है। टीमें नेपाल में भी तीन दिन डेरा डाले रही। 4400 मोबाइल नम्बर सर्विलांस पर लगाए जा चुके हैं। 600 से अधिक संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। एसटीएफ के एडीजी, एसएसपी, तीन एएसपी, चार डिप्टी एसपी और इंस्पेक्टरों समेत 16 टीमें लगी हुई हैं मगर इस समय सबसे चर्चित हत्याकाण्ड में प्रयागराज पुलिस की तरफ ही एसटीएफ भी कुछ नहीं कर पा रही है।
मोस्ट वान्टेड डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के खात्मे के लिए चार मई, 1998 को एसटीएफ का गठन तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने किया था। तब 43 कुख्यात अपराधियों की सूची तैयार कर उनका आतंक खत्म करने को कहा गया था। इसके बाद एसटीएफ ने श्रीप्रकाश समेत कई अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया। वर्ष 2017 से अब तक एसटीएफ ने कई खूंखार अपराधियों का आतंक खत्म किया। इसमें सबसे चर्चित कानपुर के अपराधी विकास दुबे का एनकाउंटर रहा। यही वजह थी कि उमेश पाल हत्याकाण्ड के राजनीति गलियारों में तूल पकड़ते ही सरकार ने एसटीएफ को भी अपराधियों को पकड़ने का टास्क दिया। दूसरे दिन ही एसटीएफ ने प्रयागराज में डेरा डाल दिया। पर, इस बार की चुनौती बहुत कठिन थी। जितना बड़ा आपरेशन इस समय एसटीएफ चला रही है, उतना डॉन श्रीप्रकाश के लिये भी नहीं चलाया गया था।
एसटीएफ के एक अधिकारी के मुताबिक करीब साढ़े चार हजार मोबाइल फोन सर्विलांस पर हैं। शूटरों में शामिल अरबाज ढेर भी किया गया। मगर हत्याकांड में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले अतीक के बेटे असद, गुड्डू मुस्लिम हत्या की साजिश के केन्द्र में रहे। इन्होंने वारदात के बाद कौन कैसे भागेगा, कहां शरण लेगा…यह सब पहले से तय कर लिया था। अतीक की पत्नी शाइस्ता वारदात के बाद कैसे निकलेंगी और कहां शरण लेगी…। यह सब साजिश का हिस्सा थे। अन्य शूटरों और मददगारों को बचाना साजिश में शामिल नहीं था। यही वजह है कि असद और गुड्डू मुस्लिम को पकड़ने में परेशानी हो रही है। मोबाइल का इस्तेमाल भी बेहद सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है।