बीते करीब 7 महीने से राज्य की सियासी गतिविधियों से अलग भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर ने पार्टी नेतृत्व से उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद से मुक्ति मांगी है। बताया जा रहा है कि राज्य में सत्ता हासिल होने के बाद संगठन से जुड़े मामलों में राय न लिए जाने से माथुर आहत हैं। हालांकि नेतृत्व ने फिलहाल माथुर को कर्नाटक चुनाव की अहम जिम्मेदारी दी है।
दरअसल संगठन के स्तर पर फैसला मामले में नहीं सुने जाने के बाद माथुर ने राज्य की सियासी गतिविधियों से खुद को दूर कर लिया है। फूलपुर-गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव को ले कर उम्मीदवारों के चयन संबंधी बैठक में भी माथुर शामिल नहीं हुए थे।
इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के 11 अप्रैल को लखनऊ और 20 अप्रैल को रायबरेली के दौरे से भी खुद को दूर रखा। पार्टी से जुड़े कार्यक्रम में माथुर बीते साल कानपुर में 11-12 अक्टूबर को हुई प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए थे।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद माथुर से नीतियों के संदर्भ में कोई राय नहीं ली
इसके अलावा इस साल 20 फरवरी को संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम के दौरान वह लखनऊ में नजर आए। सूत्रों ने बताया कि राज्य विधानसभा चुनाव जीतने के बाद माथुर से संगठन या सरकार की नीतियों के संदर्भ में कोई राय नहीं ली गई। इससे आहत हो कर उन्होंने बीते नेतृत्व नेतृत्व के समक्ष प्रभारी पद छोडने की इच्छा जताई।