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UP: 16 को अयोध्या जाएंगे श्रीश्री रविशंकर, हिन्दू-मुस्लिम पक्षकारों से होगी मुलाकात

लखनऊ. अयोध्या विवाद में मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए आगे आए अध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर 16 नवम्बर को अयोध्या पहुंचेंगे। यहां वो इस विवाद से जुड़े हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही पक्षकारों से मुलाकात करेंगे। 11 नवम्बर को निर्मोही अखाड़ा के दिनेंद्र दास ने बंगलौर में श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की थी। दास ने श्री श्री से अयोध्या विवाद में मध्यस्थता के लिए अयोध्या आने आने की गुजारिश की थी।UP: 16 को अयोध्या जाएंगे श्रीश्री रविशंकर, हिन्दू-मुस्लिम पक्षकारों से होगी मुलाकात

निर्मोही अखाड़े के कहने पर अयोध्या आने को तैयार हुए रविशंकर

-निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि प्रभात सिंह ने बताया, “दिल्ली में निर्मोही अखाड़े की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे पक्षकार राजा रामचन्द्रचार्य ने रविशंकर से मुलाकात की थी।” 
– “इस मुलाकात के बाद ही रविशंकर अयोध्या मामले में मध्यस्थता करने और अयोध्या आने को तैयार हुए। वो 15 नवम्बर को लखनऊ में कुछ पक्षों से बात करेंगे। 16 नवम्बर को अयोध्या में हिन्दू और मुस्लिम पक्षकारों से मिलकर बात कर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।”
-उन्होंने बताया कि श्रीश्री रविशंकर के साथ होने वाली बैठक में मुस्लिम पक्षकारों को भी बुलाया जाएगा।

क्या कहते हैं मुस्लिम पक्षकार

-मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने बताया, “मुझे श्रीश्री रविशंकर से मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। बशर्ते वह मेरी जगह पर आकर बात करें। उन्होंने कहा रविशंकर सुलझे हुए आदमी हैं और इंटरनेशनल लेवल पर उनकी अपनी पहचान है।”
– हाजी महबूब ने कहा- उनकी बात या सलाह कितनी प्रभावी है, ये उनका रुझान देख कर पता चलेगा। अगर हमारी बात होती है तो आगे की रणनीति उसी के बाद तय होगी। हालांकि उन्होंने अभी रविशंकर के अयोध्या आने की बात की जानकारी होने से इनकार किया है।
– वहीं, मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने भी श्री श्री के अयोध्या आने की जानकारी से होने इनकार किया है। इकबाल ने बातचीत में कहा, “अगर रविशंकर आते हैं तो बात करने में कोई बुराई नहीं है। हमने तो विवाद सुलझाने के उद्देश्य से ही रविवार को अयोध्या आए शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी से मुलाकात भी की है।”
– “लेकिन, उनकी बात ही हमें नागवार गुजरी। वसीम रिजवी ने कहा कि मस्जिद शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की है। हम उस जमीन को मंदिर बनाने को दे रहे हैं। अगर आपको मस्जिद बनानी है तो हम आपको अयोध्या के बाहर जमीन दे देंगे। उनकी बात से वहां मौजूद हिन्दू पक्ष भी नाराज हुए।”

अखाड़ा परिषद् ने कहा रविशंकर चलाते हैं एनजीओ

– वहीं, रविवार को अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी भी अयोध्या पहुंचे थे। जहां उनसे शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने मुलाकात की।
– मीडिया से बातचीत में नरेन्द्र गिरी ने कहा- अभी तक वार्ता सही लोगों से नहीं हो रही थी। हम केवल पक्षकारों को साथ लेकर चल रहे हैं। श्रीश्री रविशंकर साधु संत नहीं हैं जो इनकी बात मानी जाए। वो तो केवल एनजीओ चलाते हैं। वो बिना मतलब बीच में आए हैं। राम मंदिर बनवाना उनके बस की बात नहीं है। यह केवल साधू-संत ही कर सकते हैं।”

रविवार को अयोध्या में थे वसीम रिजवी

– रविवार को अयोध्या में हिन्दू महंतों से मुलाकात के बाद वसीम रिजवी ने कहा- “हम एक फार्मूले पर काम कर रहे हैं और 5 दिसंबर से पहले हम न्यायालय को इसकी जानकारी देंगे।
– आपको बता दें कि वासिम रिज़वी ने अयोध्या मुद्दे पर महंत धरमदास व कई महंतों से मुलाकात की थी।

1949 से चल रहा है विवाद

– 1949 में विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति सामने आने के बाद विवाद शुरू हुआ। तब सरकार ने इस जगह को विवादित घोषित कर दिया। इस जगह ताला लगा दिया गया था।

-शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में रिस्पॉन्डेंट (प्रतिवादी) नंबर 24 है। बोर्ड ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट में ही एफिडेविट दायर किया है। 68 साल पुराने इस मसले को सुलझाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड के अलावा सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुब्रमण्यम स्वामी भी रास्ता सुझा चुके हैं।

अब तक ये 4 फॉर्मूले सामने आए…

1) इलाहाबाद हाईकोर्ट

– 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।

ये तीन पक्ष:

– निर्मोही अखाड़ा: विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह।

– रामलला विराजमान: एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह।

– सुन्नी वक्फ बोर्ड: विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा।

2) सुप्रीम कोर्ट

– मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राम मंदिर विवाद का कोर्ट के बाहर निपटारा होना चाहिए। इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे।”

3) सुब्रमण्यम स्वामी

– मार्च में सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड पर दिए बयान में स्वामी ने कहा था, “मंदिर और मस्जिद दोनों बननी चाहिए। मसला हल होना चाहिए। मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बनना चाहिए। जबकि मंदिर वहीं बनना चाहिए, जहां अभी वो है। राम जन्मभूमि तो पूरी तरह राम मंदिर के लिए ही है। हम राम का जन्मस्थल तो नहीं बदल सकते। सऊदी अरब और मुस्लिम देशों में मस्जिद का मतलब होता है, वो जगह यहां नमाज अदा की जाए और ये काम कहीं भी हो सकता है।”

4) शिया वक्फ बोर्ड

– 8 अगस्त 2017 को शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की है लिहाजा वो ही ऐसी संस्था है, जो इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत कर सकती है। विवाद के हल के लिए बोर्ड को कमेटी बनाने के लिए वक्त चाहिए।”

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