नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डॉक्टर कफील खान की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत खत्म करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर कफील के ऊपर से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम का केस हटाते समय हाईकोर्ट की टिप्पणी से आपराधिक मुकदमे पर असर नहीं होगा।
निचली अदालत उससे प्रभावित हुए बिना सुनवाई करे। उप्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उप्र सरकार ने डॉक्टर कफील खान की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत को खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
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उप्र सरकार की याचिका में कहा गया था कि डॉक्टर कफील को ऐसे कई अपराध करने का इतिहास था, जिनके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि अलीगढ़ में धारा 144 लगाये जाने और इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक के बावजूद डॉक्टर कफील खान अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी गए और वहां भड़काऊ भाषण दिया।
याचिका में कहा गया था कि डॉक्टर कफील खान के भाषण की वजह से 13 दिसम्बर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के करीब एक हजार छात्रों ने अलीगढ़ में प्रदर्शन करने की कोशिश की, जिन्हें पुलिस ने रोक दिया। अगर इन छात्रों को न रोका गया होता को अलीगढ़ की सांप्रदायिक फिजा खराब हो जाती।
पिछले 1 सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत के आदेश को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में डॉक्टर कफील खान के पूरे भाषण को पढ़ने पर ऐसा नहीं लगता है कि कोई घृणा फैलाने या हिंसा की बात की गई हो।
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