UPA ने जिसे छोड़ा था, उसी ने दिया पठानकोट हमले को अंजाम
एजेंसी/नई दिल्ली। मनमोहन सिंह की सरकार ने 2010 में पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिए जैश के जिस आतंकी शाहिद लतीफ को रिहा किया था वह पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले फिदायीन दस्ते का मुख्य हैंडलर था।
उच्च-स्तरीय सूत्रों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि 47 साल की लतीफ 11 साल से जेल में बंद था। वह लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल-उल-मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के उन 25 आतंकियों में शामिल था जिसे 28 मई 2010 को रिहा किया गया था। ये सभी जम्मू, श्रीनगर, आगरा, वाराणसी, नैनी (यूपी) और दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे और इन्हें वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान भेजा गया था।
आश्चर्यजनक रूप से, लतीफ की रिहाई की मांग दिसंबर 1999 में एयर इंडिया विमान IC-814 हाईजैक करने वाले जैश आंतकियों ने भी की थी। तत्कालीन केंद्र की वाजपेयी सरकार ने लतीफ और 31 अन्य आतंकियों की रिहाई की मांग ठुकरा दी थी। हालांकि 154 यात्रियों के बदले जैश अपने चीफ मौलाना मसूद अजहर और दो अन्य आतंकियों को रिहा कराने में कामयाब रहा था। लतीफ भारत में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्य हैंडलर है।
IC-814 हाईजैकिंग और 2001 में जैश मॉड्यूल द्वारा अंजाम दिए गए संसद हमले के बाद लतीफ को जम्मू-कश्मीर जेल से 2002 में वाराणसी के सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। सुरक्षा एजेंसियों को इस बाद का अंदेशा था कि लतीफ के साथी उसे छुड़ाने के लिए दूसरी कोशिशें भी कर सकते हैं।
पाकिस्तान के गुजरानवाला में अमीनाबाद कस्बे का रहने वाला लतीफ मसूद अजहर का काफी करीबी माना जाता है। लतीफ जैश के सियालकोट क्षेत्र को लीड करता है और जैश लड़ाकों को भारत भेजने में अहम भूमिका निभाता है।