दस्तक-विशेषस्तम्भ

टीकाकरण अभियान को मिले अपेक्षित रफ्तार

टीकाकरण अभियान को मिले अपेक्षित रफ्तार

योगेश कुमार गोयल : कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण 2.0 गत 13 फरवरी को शुरू हो गया और उसी के साथ भारत सबसे तेजी से 77.66 लाख वैक्सीन लगाने वाला देश बन गया। भारत टीकाकरण के 21 दिनों में 50 लाख लोगों को वैक्सीन देने वाल दुनिया का पहला देश और 26 दिनों में 70 लाख लोगों को वैक्सीन देने वाला दुनिया का सबसे तेज देश बना। हालांकि इस तथ्य की अनदेखी भी सही नहीं कि टीकाकरण 2.0 शुरू होने के बाद वैक्सीन की दूसरी डोज लेने वालों में भी उत्साह की कमी देखी जा रही है। इसके कारणों की पड़ताल करते हुए टीकाकरण के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ाना जाना बेहद जरूरी है क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि यदि टीकाकरण की दूसरी खुराक छूट गई तो टीके का सुरक्षा कवच कमजोर हो जाएगा और टीकाकरण में ऐसी लापरवाही संक्रमण की रोकथाम के प्रयासों पर भारी पड़ सकती है।

दुनियाभर में अभीतक कोरोना मरीजों की संख्या करीब 11 करोड़ हो चुकी है, जिनमें से 24 लाख से अधिक मौत के मुंह में समा चुके हैं। भारत में भी अबतक एक करोड़ से ज्यादा व्यक्ति संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। हालांकि हमारे यहां रिकवरी दर अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर रही है और पिछले कुछ समय में देशभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से गिरावट भी दर्ज की गई है लेकिन अब जिस प्रकार कोरोना के मामले महाराष्ट्र तथा केरल में धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, ऐसे में टीकाकरण अभियान को अपेक्षित रफ्तार दिया जाना बेहद जरूरी है। वैसे 16 जनवरी को शुरू हुए टीकाकरण अभियान के बाद 30 दिनों के अंदर 83 लाख से अधिक लोगों को ‘कोरोना सुरक्षा कवच’ मिल चुका है लेकिन यह अपेक्षित लक्ष्य से कम है। सरकार का लक्ष्य तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों सहित कुल 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण का जुलाई-अगस्त तक का लक्ष्य है और विशेषज्ञों का मानना है कि तय लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार को 10 गुना तेज गति से टीकाकरण अभियान चलाना होगा। इसके लिए इस कार्य में निजी क्षेत्र को भी शामिल करना होगा।

टीकाकरण 2.0 के बाद 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण की तैयारी की जा रही है, यह अभियान मार्च माह में शुरू होगा। टीकाकरण के प्रति लोगों में उत्साह की कमी के चलते अलग-अलग जगहों से वैक्सीन की खुराकें बर्बाद होने की खबरें भी सामने आ रही हैं। कोविशील्ड की एक शीशी में कुल 10 जबकि कोवैक्सीन की एक शीशी में 20 खुराकें होती हैं और वैक्सीन लगाने के लिए शीशी को खोलने के चार घंटे के अंदर सभी खुराक खत्म करनी होती हैं लेकिन कुछ स्थानों पर लोगों के टीका लगवाने के लिए कम संख्या में पहुंचने और टीका लगवाने वालों की अपेक्षित संख्या नहीं होने के कारण वैक्सीन की खुराकें बर्बाद हो जाती हैं। भारत बहुत बड़ी आबादी वाला देश है और ऐसे में समझना मुश्किल नहीं है कि इतनी बड़ी आबादी के टीकाकरण का काम इतना सरल नहीं है। इसके लिए टीकाकरण अभियान की खामियों को दूर करते हुए लोगों को जागरूक करने की सख्त जरूरत है।

लोगों के मन में कोरोना वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स को लेकर जो भ्रम हैं, उन्हें दूर करने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाने की दरकार है। कुछ दिनों पहले एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को लेकर गलत और आधारहीन सूचनाओं की बाढ़ ने लोगों के मन में टीके को लेकर अनिच्छा पैदा की है और इसका समाधान यही है कि लोगों के मन में उत्पन्न संदेह और भ्रम को दूर करने के लिए सरकार द्वारा समुचित कदम उठाए जाएं। दरअसल कोरोना टीकों को लेकर सबसे बड़ा भ्रम लोगों के मन में इनके साइड इफैक्ट को लेकर है लेकिन कई प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टीका लगने के आधे दिन तक टीके वाली जगह पर दर्द और हल्का बुखार रह सकता है, जो इस बात की निशानी है कि टीका काम कर रहा है। जब शरीर में दवा जाती है तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र इसे अपनाने लगता है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कोरोना के दोनों टीकों को पूर्ण सुरक्षित बताते हुए कहा था कि टीकाकरण के शुरुआती तीन दिनों में लोगों में वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभाव के केवल 0.18 प्रतिशत मामले सामने आए थे, जिनमें केवल 0.002 फीसदी ही गंभीर किस्म के थे। अब स्वास्थ्य मंत्रालय का भी कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद केवल 0.005 फीसदी लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी।

अगर टीका लगने के बाद इसके सामान्य प्रभावों की बात की जाए तो इनमें थकान, सिरदर्द, बुखार, टीके के स्थान पर सूजन या लाली, दर्द, बीमार होने या शरीर में हरारत का अहसास, शरीर व घुटनों में दर्द, जुकाम इत्यादि सामान्य असर हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार ये सभी लक्षण कुछ ही समय बाद खत्म हो जाते हैं। कुछेक मामलों में टीका लगने के बाद साइड इफैक्ट भी सामने आ सकते हैं। इन साइड इफैक्ट्स में भूख कम हो जाना, पेट में तेज दर्द का अहसास, शरीर में खुजली, बहुत ज्यादा पसीना आना, बेहोशी जैसा महसूस होना, शरीर पर चकते पड़ना, सांस लेने में परेशानी शामिल हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के साइड इफेक्ट के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे टीके को लेकर तनाव या घबराहट, टीका लगाने के तरीके और रखरखाव में कमी या टीके की गुणवत्ता में किसी तरह की खामी।

कोरोना वैक्सीन को लेकर कुछ लोगों के मन में जो शंकाएं हैं, उनका समाधान करने का प्रयास करते हुए कुछ विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल स्पष्ट रूप से यह तो नहीं कहा जा सकता कि वैक्सीन से किस व्यक्ति में कितने दिन के लिए एंटीबॉडीज बनेंगी लेकिन इतना अवश्य है कि टीके की दोनों डोज लगने के बाद कम से कम 6 माह तक शरीर में एंटीबॉडी मौजूद रहेंगी और अगर इतने समय तक लोगों को कोरोना से सुरक्षा मिल गई तो कोरोना की चेन को आसानी से तोड़ा जा सकता है। वैक्सीन लगवाने के बाद व्यक्ति को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना भी अनिवार्य है। कोरोना टीका लगवाने के बाद कम से कम दो महीने तक शराब का सेवन करने से बचें क्योंकि विशेषज्ञों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि शराब पीने की लत वैक्सीन के प्रभाव को बेअसर कर सकती है।

बहरहाल, कोरोना टीकाकरण अभियान के तहत पहले चरण में तीन करोड़ और दूसरे चरण में इसे 30 करोड़ के लक्ष्य तक ले जाना है। यह लक्ष्य तभी हसिल किया जा सकता है, जब लोगों के मन में टीकाकरण को लेकर उपजे भ्रम को सफलतापूर्वक दूर किया जाए।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

Related Articles

Back to top button