शिवसेना से बगावत के बाद कहां जाएगा शिंदे खेमा, पहले नम्बर पर MNS
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति (politics of Maharashtra) में हुई बगावत अब सत्ता के साथ शिवसेना (Shiv Sena) पार्टी का भी रुख करती दिख रही है। एक ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) की अगुवाई वाली शिवसेना का कहना है कि दो तिहाई बहुमत के बावजूद एकनाथ शिंदे खेमा (Eknath Shinde camp) अलग समूह होने का दावा नहीं कर सकता, उन्हें दूसरी पार्टी में शामिल होना ही होगा। इधर, कहा जा रहा है कि बागी कैंप भी संभावनाएं तलाश रहा है और उसकी सूची में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (Maharashtra Navnirman Sena) का नाम पहले नंबर पर हो सकता है।
खबर है कि शिंदे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच फोन पर बात हुई थी। हाल ही में राज ने सर्जरी कराई है और दो दिन पहले ही अस्पताल से छुट्टी लेकर घर पहुंचे हैं। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया कि अगर हालात बने तो उनके पास तीन विकल्प होंगे। इसमें मनसे, प्रहार जनशक्ति पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का नाम शामिल है।
कैंप का एक स्वभाविक सहयोगी भाजपा हो सकती है। दरअसल, शिवसेना लंबे समय तक भाजपा के साथ रही। वहीं, बागी विधायक भी कांग्रेस और एनसीपी के खिलाफ असहमति जाहिर कर चुके हैं। हालांकि, शिंदे गुट का एक वर्ग बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के साथ जाने के पक्ष में नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ बागी नेता ने कहा, ‘हम जानते हैं कि अगर हम हमारे समूह को भाजपा में शामिल करेंगे तो यह हमें राष्ट्रीय पहचान देगा और प्रक्रिया आसान होगा। लेकिन हम क्षेत्रीय पार्टी के तौर पर अपनी पहचान नहीं खोना चाहते।’
वहीं, बच्चू काडू के नेतृत्व वाली प्रहार जनशक्ति के पास दो विधायक हैं। हालांकि, सेना नेताओं का कहना है कि इस पार्टी के साथ जाना राजनीतिक तौर पर मजबूरी लगेगी। खास बात है कि प्रहार जनशक्ति आमतौर पर किसानों और खेती से जुड़े मुद्दों पर बात करती है।
अब बची MNS
नेताओं का कहना है कि राज और शिंदे के बीच हमेशा रिश्ते अच्छे रहे हैं। फिलहाल, मनसे के पास महज एक विधायक है और पार्टी अस्तित्व के लिए संजीवनी की तलाश में है। अगर मौजूदा हाल देखें तो मनसे भी सीएम ठाकरे की पार्टी पर हिंदुत्व से समझौता करने के आरोप लगा चुकी है। इसके अलावा राज के साथ जुड़ने के चलते शिंदे को ठाकरे एंगल पर भी फायदा मिल सकता है।
शिंदे समूह का क्या कहना है?
बागी नेता दीपक केसरकर ने कहा, ‘हम किसी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। हम सेना का हिस्सा हैं। चूंकि बहुमत हमारे साथ है इसलिए हमें असली शिवसेना माना जाना चाहिए।’ रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का कहना है कि शिंदे समूह किसी जल्दबाजी में नहीं है। एक बागी नेता ने कहा कि कानूनी बाधाओं को दूर करने के बाद हम राजनीतिक तौर पर और मजबूत बनकर उभरेंगे, तब तक हम इंतजार करेंगे।